देश

सिद्धू मूसेवाला की अंतिम अरदास में भावुक हुए पिता, बोले- अंतिम वक्त में नहीं रह पाया साथ

मानसा
पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की अंतिम अरदास के मौके पर बुधवार को बड़ी संख्या में लोग जुटे। मानसा की अनाज मंडी में आयोजित कार्यक्रम में भीषण लू के बाद भी बच्चे, महिलाएं और युवा बड़ी संख्या में जुटे थे। इन लोगों में पंजाब ही नहीं बल्कि हिमाचल, हरियाणा समेत कई राज्यों से पहुंचे सिद्धू मूसेवाला के प्रशंसक भी शामिल थे। इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने बेटे को याद करते हुए कई पुरानी बातों का जिक्र किया तो सरकार को भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि आपको व्यवस्था ठीक करनी होगी वरना आज मेरा बेटा गया है और आपके साथ भी ऐसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि मैंने जब नर्सरी में शुभदीप सिंह का दाखिला कराया तो मैं उसे साइकिल से 24 किलोमीटर दूर तक छोड़ने जाता था।

मूसेवाला ने बचपन में देखे थे गरीबी के दिन, कभी नहीं रखता था पर्स
उन्होंने कहा कि मेरा बेटा बहुत ही सीधा-सादा था। वह 12वीं तक स्कूल जाने के लिए 24 किलोमीटर दूर तक साइकिल चलाकर जाता रहा। बलकौर सिंह इस दौरान दिवंगत बेटे के प्रशंसकों को देखकर बेहद भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि सिद्धू मूसेवाला कभी अपने पास पर्स नहीं रखते थे। उसे जब भी खर्च की जरूरत होती थी तो कहता कि पापा पैसे दो। वह कभी भी बाहर जाता तो बिना पूछे नहीं जाता। उसे हम लोगों से बहुत ज्यादा प्यार था और शायद इसीलिए वह इतना प्यार देकर जल्दी चला गया। उन्होंने कहा कि जिस दिन उसकी हत्या हुई थी, उस दिन मैंने उसके साथ जाने की कही थी, लेकिन उसने कहा था कि आप खेत से आए हो और आराम करो।

आज तक पता नहीं चला, बेटे का कसूर क्या था
आज मेरे बेटे के साथ ऐसा हुआ है और कल किसी और के बेटे के साथ ऐसा न हो, इसलिए सरकार को प्रयास करने चाहिए। मुझे तो आज तक पता नहीं है कि मेरे बेटे का कसूर क्या था। मेरे पास कभी भी बेटे की शिकायत नहीं आई थी। मेरा बेटे ने रोकर मुझसे पूछा था कि आखिर हर गलत बात मेरे ऊपर क्यों लग जाती है। बलकौर सिंह ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में आप लोगों के जुटने से हमें साहस मिला है और गम को कम करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि मेरे बेटे ने कभी गनमैन नहीं रखे क्योंकि उसे कभी लगा ही नहीं कि उसे कोई खतरा है।

भावुक पिता बोले- आखिरी वक्त नहीं रह पाया बेटे के साथ
उन्होंने कहा कि मैं हमेशा अपने बेटे के साथ परछाईं की तरह लगा रहा, लेकिन आखिरी वक्त में उसके साथ नहीं रह पाया। उन्होंने कहा कि हमारे सामने पहाड़ जैसा दुख है। हम कहते जरूर हैं कि जी लेंगे, लेकिन ऐसा होना आसान नहीं है। कहते हैं कि जिंदगी में कोई बचपन में दुख झेलता है तो कोई बुढ़ापे में। लेकिन मैं इतना बदनसीब हूं कि बचपन भी बुरा था और अब बुढ़ापे में बच्चे की मौत का गम झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अब हमें नई जिंदगी जीनी है। मैंने यदि किसी से गलत बोला है तो अनजान और दुखी पिता समझकर माफ कर दो।

 

Related Articles

Back to top button