
जगदलपुर
पूर्व मंत्री एवं भाजपा प्रवक्ता केदार कश्यप ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार की कथनी और करनी में फर्क बताते हुए कहा कि 22 हजार करोड़ की लागत वाली बोधघाट परियोजना को अब तक अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताने वाली मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार अब इससे पीछे हट रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बोधघाट परियोजना को लेकर बस्तर से लेकर राजधानी में बड़े-बड़े पोस्टर लगाकर खेती का रकबा बढ़ाने का दावा किया था। जबकि 41.54 करोड़ रुपए के डीपीआर बनाने के लिए राशि भी जारी कर दी गई है। इससे यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट बोधघाट परियोजना महज एक राजनीतिक स्टंट निकला और इसके पीछे जनता की गाढ़ी कमाई को खर्च करने और अपनों को उपकृत करने की ही मंशा है।
उन्होने कहा कि इस परियोजना को एक महान परिवर्तनकारी योजना की तरह प्रचारित करने की कोशिश शुरू कर हर दिन औसतन 44 लाख रुपए विज्ञापनों पर खर्च किया। इसके अलावा बस्तर केविधायकों की बैठक भी की गई जिसका कोई फायदा बस्तर के लोगों को नहीं मिला। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री बस्तर प्रवास में कहते हैं कि हम जनता की राय जानकर इस परियोजना में अंतिम फैसला करेंगे। जब तक बस्तर के लोग सहमत नहीं होंगे, बोधघाट परियोजना प्रारंभ नहीं की जाएगी। उन्होने कहा कि विधानसभा में मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया था कि इस परियोजना की डीपीआर बनाने के लिए 41.54 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, डीपीआर फरवरी तक बनकर तैयार हो जाएगा, लेकिन डीपीआर अब तक तैयार नहीं हो पाई है।