मध्य प्रदेशराज्य

प्रदेश के पहले पुलिस म्यूजियम को देखने जाएंगे छात्र

बैतूल
बैतूल जिले के आदिवासियों की स्वतंत्रता संग्राम में वीरता की कहानियों को बयां करने के लिए प्रदेश की पुलिस ने म्यूजियम बनाया है। प्रदेश पुलिस का यह पहला म्यूजियम बैतूल से 22 किलो मीटर दूर रानीपुर के एक शताब्दी पुराने थाने में बनाया गया हैं। इसका लोकार्पण हुए करीब एक महीना हो गया है। अब इस म्यूजियम के जरिए जिले के विद्यार्थियों को स्वतंत्रता संग्राम के वीरों की गाथा बताने के लिए यहां तक लाया जाएगा।

इस म्यूजियम में फिलहाल बैतूल जिले के लोग ही देखने आ रहे हैं। इसके अलावा जो लोग बैतूल में बाहर से आते हैं उनके लिए यह आकर्षण का केंद्र बन गया है। अब जिला पुलिस इस म्यूजियम को लेकर एक कदम और आगे बढ़ा रही है। जिले के विद्यार्थियों को  ब्रिटिश हुकूमत के समय उनके यहां के वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विष्णु सिंह गोंड की गाथा इस म्यूजियम में लाकर बताएगी। नया शिक्षण सत्र शुरू होने के बाद पुलिस सभी स्कूलों से संपर्क कर यहां पर विद्यार्थियों को लेकर आएगी और उन्हें यहां पर पुलिस अफसर स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी बैतूल की गाथा बताएंगे।

स्वतंत्रता सेनानियों ने कब्जा लिया था थाना
बैतूल से 22 किमी दूर गांव रानीपुर आजादी की लड़ाई का खास गवाह रहा है। यहीं वह ऐतिहासिक थाना मौजूद है, जिस पर भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों ने कब्जा कर लिया था।  उसके निशान आज भी इस थाने के गेट पर मौजूद दो खंभों पर देखे जा सकते हैं।

 जिस पर आज भी बैतूल के स्वतंत्रता आंदोलन के नायक सरदार विष्णुसिंह गोंड की कुल्हाड़ियों के निशान मौजूद है। भारत के इन वीरों ने इस थाने पर कब्जा कर यहां कई दस्तावेज जला कर इस थाने में आग लगा दी थी।  स्वतंत्रता सेनानी विष्णुसिंह गोंड ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इसी थाने से हथियार लूटे थे। सेनानियों ने इस थाने को नेस्तनाबूद करने की पूरी कोशिश की थी।

108 साल पुरानी है म्यूजियम की बिल्डिंग
रानीपुर में पुलिस थाने का इतिहास 1895 से मिलता है, लेकिन जिस थाना भवन को म्यूजियम बनाया गया है, वह बिल्डिंग अंग्रेजी ने 1913 में बनाई गयी थी। सात कमरों वाले इस थाने में सौ साल से भी ज्यादा वर्षो तक थाना लगता रहा।

पुराने हथियार, पुलिस रिकॉर्ड, अंग्रेजों के नोट्स से लैस गैलरी
पुलिस म्यूजियम में अलग-अलग नौ गैलरी बनाई गई है। जिसमे पुराने हथियार, पुलिस के काम करने के तरीके एवं पुलिस के पुराने रिकॉर्ड, पुलिस साहित्य, अंग्रेजो के दौर के नोट्स, टीप और बैतूल के स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े दस्तावेज, उनकी तस्वीरे सजाई गई है।

 यहां प्लास्टिक पुतलों में डीजीपी से लेकर सिपाही और अर्दली तक की वर्दियों को रैंक के लिहाज से दर्शाया गया है। पुलिस के पुराने उपकरण, पुलिस बैंड से लेकर टेलीप्रिंटर, टाइप राइटर,कैमरे,बर्तन,खेल सामग्री दर्शकों के लिए सजाई गई है।

 

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