मध्य प्रदेशराज्य

निकाय चुनाव: मैराथन बैठकें, बैठक में पहुंचे सीएम

भोपाल
भाजपा में मेयर टिकट वितरण को लेकर पांच बड़े शहरों में गुटबाजी उभर आई है, ऐसे में फार्मूला वायलेशन की स्थिति में संघ कैंडिडेट फाइनल कर सकता है। इस बीच 11 सीटों पर लगभग सहमति बन गई है। आज शाम तक प्रत्याशियों की सूची जारी होने के साथ इसमें विराम लगने की संभावना है।  इन सभी नगर निगमों में महापौर पद के लिए दावेदारी करने वालों में पार्टी के सीनियर नेता भी जुटे हुए हैं।

भाजपा के महापौर प्रत्याशियों की सूची भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और सागर में पार्टी नेताओं की खेमेबाजी के पेंच में उलझी है। इस बीच विवाद की स्थिति को देखते हुए इसमें संघ की एंट्री हो गई है और संघ भाजपा के समन्वय से टिकट का फैसला होने वाला है।

दूसरी ओर सूची जारी करने के पहले सोमवार को प्रदेश कार्यालय में भाजपा कोर ग्रुप के आधे सदस्यों की एक बार फिर बैठक हुई जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के साथ भोपाल जिले के सभी नेता शामिल रहे। सीएम बैठक में आधे घंटे तक मौजूद रहे। इस दौरान बैठक में पहले से चर्चा में शामिल नामों के अलावा एक दो स्थानों पर नए नामों पर विचार किया गया। इस बैठक के  बाद 11 नगर निगमों में सिंगल नाम तय हो चुके हैं। इन नामों पर विवाद नहीं है और उनकी सूची जल्द जारी होने वाली है।

सोमवार को प्रदेश कार्याय में हुई बैठक में भोपाल पर चर्चा के बाद इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर नगर निगम के महापौर प्रत्याशियों के नामों पर सहमति जताते हुए सूची तय की गई है। संगठन ने कहा है कि प्रत्याशी चयन का निर्णय स्थानीय स्तर पर ही किया जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कार्यालय में भोपाल के कैंडिडेट को लेकर हुई बैठक में सांसद प्रज्ञा ठाकुर के साथ सभी विधायक और पार्टी पदाधिकारी भी बुलाए गए थे।

सोमवार को हुई चर्चा में भोपाल से मालती राय, इंदौर से पुष्यमित्र, डॉ निशांत खरे, जबलपुर से जितेंद्र जामदार, ग्वालियर से सुमन शर्मा, सागर से प्रतिभा तिवारी और प्रतिभा चौबे का नाम सबसे आगे है। रीवा से व्यंकटेश पांडेय का नाम आगे था लेकिन अब प्रज्ञा त्रिपाठी का नाम चर्चा में है। यहां गौरतलब है कि इंदौर से विधायक रमेश मेंदोला, भोपाल से विधायक कृष्णा गौर को चुनाव लड़ाने को लेकर चल रही चर्चा के बीच कल मेंदोला सीएम शिवराज और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी मिले थे।

पार्षद के लिए उम्र के साथ-साथ सामाजिक समीकरणों पर फोकस
भाजपा प्रदेश संगठन द्वारा जिलों की कोर कमेटी को पार्षदों के नाम तय करने का अधिकार दिए जाने के बाद दो दिन के भीतर सूची फाइनल कर संभागीय समिति को भेजने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद कुछ जिलों में कल बैठक हुई तो कई जिलों में सोमवार को बैठकें हो रही हैं। इसमें सबसे अधिक प्राथमिकता अनारक्षित सीटों पर प्रत्याशी की जीत की संभावना के आधार पर सामाजिक समीकरण को ध्यान रखने पर देने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखा जाएगा कि जिसे टिकट दिया जाए वह पार्टी का कार्य लंबे समय से कर रहा हो।

निकाय चुनाव में क्लीन स्वीप
पार्टी का फोकस जीत को लेकर है। इसीलिए पूर्व में यह भी चर्चा में रहा कि जरूरत होने पर विधायकों को चुनाव लड़ाया जाएगा और इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व की सहमति ले ली जाएगी लेकिन अब जो रणनीति सामने आ रही है, उसमें विधायकों को टिकट नहीं दिया जाना तय हो गया है। इसके बाद संघ और भाजपा के समन्वय से तय होने वाले नेताओं की जिताने के लिए पूरी टीम को जुटना है। इसी के चलते विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों को बैठक में बुलाकर उनसे साफ कहा गया है कि पार्टी जो निर्णय लेगी उसका पालन करने में किसी तरह की कोताही नहीं होना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि भोपाल के मामले में लगभग सभी भाजपा विधायकों ने सहमति दी है लेकिन बैठक से बाहर निकलने के बाद किसी विधायक ने इस संबंध में मीडिया से कोई बात नहीं की है। इसके बाद यह स्थिति बन रही है कि इंदौर में भी गैर विधायक को ही टिकट दिया जाएगा।

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