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पश्चिम बंगाल: राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाकर मुख्यमंत्री को नियुक्त करने संबंधित बिल पारित

कोलकाता
बंगाल विधानसभा में सोमवार को राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाकर मुख्यमंत्री को नियुक्त करने संबंधित बिल पारित हो गया। शिक्षामंत्री ब्रात्य बसु ने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून संशोधन बिल 2022 पेश किया। पक्ष में 182 और विरोध में 40 मत पड़े। जानकारों का कहना है कि सरकार को प्रत्येक विवि के मामले में अलग-अलग बिल लाकर उसे पारित कराना होगा क्योंकि ये विवि स्वायत्त संस्था हैं इसलिए कानूनी तौर पर कुलाधिपति के पद पर राज्यपाल के बदले किसी और को लाने के लिए विस में संशोधन विधेयक लाना जरुरी है। संशोधन बिल को पारित कराने से पहले उसपर चर्चा जरुरी है। इसकी समयावधि आधे घंटे से लेकर दो घंटे तक की हो सकती है इन विधेयकों को पारित कराने के लिए चर्चा में ही अच्छा-खासा समय लग सकता है। बंगाल में वर्तमान में सात सरकारी विवि हैं जबकि निजी विवि की संख्या पांच से सात हैं।

विशिष्ट लोगों ने मुख्यमंत्री को विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाए जाने का किया है विरोध
बंगाल की जानी-मानी हस्तियों के एक समूह ने मुख्यमंत्री को राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति नियुक्त किए जाने पर असंतोष जताते हुए इस कदम को विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के लिए एक बड़ा झटका और लोकतंत्र की भावना के खिलाफ बताया है। प्रख्यात शख्सियतों के इस समूह ने यह भी कहा कि राज्य मंत्रिमंडल के इस फैसले में कुलाधिपति के पद पर एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद को नियुक्त करने की लंबे समय से जारी लोगों की मांग की भी अनदेखी की गयी है।

समूह ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘हम मुख्यमंत्री को राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति नियुक्त करने के हालिया फैसले से हैरान और स्तब्ध हैं। हम सभी शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता की अनिवार्यता के बारे में जानते हैं, और इस तरह का निर्णय इसके लिए बड़ा झटका साबित होगा, साथ ही यह फैसला लोकतंत्र की भावना के भी खिलाफ है।’’ इस समूह में अभिनेता कौशिक सेन, निर्देशक अनिक दत्ता और राजा सेन, चित्रकार समीर आइच, अभिनेता बिभास चक्रवर्ती, सामाजिक कार्यकर्ता मिरातुन नाहर और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुजात भद्र जैसे 40 लोग शामिल हैं, जिन्होंने बयान पर हस्ताक्षर कर अपना असंतोष जताया है। उन्होंने कहा कि यदि कुलाधिपति के पद पर किसी शिक्षाविद् की नियुक्ति की जाती है तो इससे संस्थानों के संचालन में बाहरी हस्तक्षेप को रोका जा सकेगा।

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