राजनीती

हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में हार नहीं पचा पा रही कांग्रेस, जांच की मांग; भूपिंदर सिंह हुड्डा पर हमला

 चंडीगढ़
हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में अजय माकन की हार के बाद से प्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर से कलह मचती दिख रही है। लंबा अभियान चलाकर कुमारी शैलजा की जगह अपने करीबी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने वाले भूपिंदर सिंह हुड्डा पर अब सवाल उठ रहे हैं। दो पूर्व मंत्रियों सुभाष बत्रा और कृष्णमूर्ति हुड्डा ने तो इस हार की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग हाईकमान से की है। कृष्णमूर्ति ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'कांग्रेस उम्मीदवार की बेहद करीबी अंतर से हार ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को निराश किया है। इस की जिम्मेदारी कांग्रेस विधायक दल के नेता और प्रदेश अध्यक्ष को लेनी चाहिए। पार्टी के पास पूरे नंबर थे और उसके बाद भी हार हुई है तो फिर यह चिंता की बात है।'

उन्होंने कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि विधायकों ने कांग्रेस के नेता का समर्थन क्यों नहीं किया और किसकी शह पर ऐसा हुआ है। वहीं सुभाष बत्रा ने कहा कि इस हार ने कांग्रेस वर्कर्स के मनोबल को गिराया है। उन्होंने कहा कि किस विधायक के चलते ऐसा हुआ है, उसका नाम सामने आना चाहिए। इस बीच भूपिंदर सिंह हुड्डा का भी हार को लेकर रिएक्शन आया है। उन्होंने कहा कि पार्टी हार का विश्लेषण कर रही है। उन्होंने कहा कि हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि किन विधायकों का वोट कैंसिल हुआ था। कांग्रेस के काउंटिंग एजेंट के पास विधायकों का बैलेट नंबर पर है।  

इसके साथ ही उन्होंने हार के लिए भाजपा पर पैसे और ताकत के इस्तेमाल को भी वजह बताया। उन्होंने कहा कि निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और इनेलो विधायक अभय चौटाला ने भी स्वीकार किया है कि इसमें हॉर्स ट्रेडिंग हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसा कहने के बाद भी अभय चौटाला ने भाजपा समर्थित कैंडिडेट को ही वोट दिया था। मैं तो कहूंगा कि विधायक अपने वोट बेच सकते हैं, लेकिन जनता ऐसा नहीं करती है। उनकी ऐसे विधायकों पर कड़ी नजर है। इस बीच उन्होंने भाजपा सांसद अरविंद शर्मा का जिक्र करते हुए कहा कि वह भाजपा के ही हैं, लेकिन सरकार को कई बार भ्रष्ट बता चुके हैं।
 
आदमपुर से विधायक कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस में होते हुए भी कार्तिकेय शर्मा को वोट दे दिया था। उन्हें पार्टी ने निष्कासित कर दिया है, लेकिन अब वह नई मुश्किल देने की तैयारी में है। वह आज अपनी विधानसभा में पहुंच सकते हैं और वह समर्थकों से बात करेंगे। इसके बाद वह अपने भविष्य को लेकर फैसला ले सकते हैं। बिश्नोई का हिसार में अच्छा प्रभाव माना जाता है। यदि वह पार्टी छोड़ते हैं तो कम से कम हिसार जिले में कांग्रेस को बड़ा नुकसान होगा।

 

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