रांची पुलिस ने चौराहों पर लगाए उपद्रवियों के पोस्टर

रांची
राजधानी में 10 जून को हिंसा में शामिल लोगों की तस्वीर जारी की गई है। पुलिस ने दो पोस्टर बनवाए हैं, जिन्हे शहर के चौक-चौराहों पर लगाया जा रहा है। इन तस्वीरों में आरोपी हाथ में पत्थर लिए साफ नजर आ रहे हैं। वहीं, कुछ के चेहरे आधे ढंके हुए हैं। कुछ तस्वीरों पर नाम भी लिखे हुए हैं।
पोस्टरों में ज्यादातर युवा हैं। दोनों पोस्टर में रांची पुलिस के अधिकारियों के संपर्क भी दिए गए हैं। साथ ही लोगों से अपील की गई है कि इन पोस्टर में लोगों की पहचान कर उसकी सूचना पुलिस को दें।
रांची सिटी एसपी अंशुमन कुमार ने कहा कि 10 जून की घटना में शामिल कुछ लोगों की पहचान हुई है। वहीं कुछ लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया है। छह नामजद लोगों को गिरफ्तार किया गया हैl उनसे पूछताछ की जा रही है।
दरअसल, सोमवार को गवर्नर रमेश बैस ने डीजीपी समेत जिला प्रशासन के अधिकारियों को राजभवन तलब किया था। उन्होंने साफ कहा था कि घटना में शामिल लोगों की पहचान कर उनके पोस्टर बनावाएं। साथ ही शहर के अलग-अलग कोनों पर उन्हें लगाएं ताकि उन्हें पकड़ने में आम लोगों की मदद ली जा सके।
10 जून को हुआ था हिंसक प्रदर्शन
पैगंबर पर विवादित टिप्पणी को लेकर रांची में 10 जून को नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन हुआ था। आगजनी और पथराव के चलते पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। प्रदर्शन के दौरान उपद्रवियों ने पुलिस पर भी पथराव किया। SSP समेत 3 पुलिसकर्मी को चोटें आई थीं। वहीं, फायरिंग में दो लोगों की मौत हुई है। जबकि, 20 से अधिक इलाजरत हैं।
रांची में हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बाद संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और हजारों लोगों के खिलाफ 25 एफआईआर दर्ज की गई है।
राज्यपाल ने रांची हिंसा पर डीजीपी और वरिष्ठ अधिकारियों से पूछे थे ये सवाल
बता दें कि, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने रांची में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर सोमवार को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नीरज सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को राजभवन तलब किया था। उन्होंने पूछा कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारों, रबड़ की गोलियों या आंसू गैस का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया और प्रशासन एहतियाती कार्रवाई करने में नाकाम क्यों रहा?
पुलिस महानिदेशक ने राज्यपाल को सूचित किया कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणी को लेकर राजधानी रांची में 10 जून के विरोध-प्रदर्शन के दौरान केवल 150 लोगों के जुटने की उम्मीद थी। हालांकि, हिंसक विरोध में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया।