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कोरोनाकाल में जो लोग भव्य तरीके से नहीं कर पाए थे शादी वे अब पूरी कर रहे हैं अपनी हसरतें

 नई दिल्ली 
 
शादी में बस 50-60 मेहमान होंगे। मास्क और सैनिटाइजर के साथ शारीरिक दूरी का ध्यान रखना अनिवार्य है। जिसने भी इन नियमों का सख्ती से पालन नहीं किया, उनके खिलाफ कार्रवाई भी होगी। साफ्टवेयर इंजीनियर नीलांजना की पिछले वर्ष जुलाई में शादी हुई थी। वह जब कभी शादी की तैयारी के दौरान इन बातों को सुनतीं थी तो दिल ही दिल में रोना आता था। चूंकि शादी की तारीख तय थी। इसलिए उसे आगे बढ़ाना भी मुश्किल था। शादी के दिन भी ऐसा लग रहा था, जैसे यह सब किसी किताबी कहानी का हिस्सा हो या किसी और दुनिया की बात हो। इतने सारे अरमान थे उनके अपने और अपनों के भी, सब दिल में रह गए थे, पर सब समय की बात है। वह और समय था और यह एक अलग समय चल रहा है। अब कोई रोक नहीं, ना ही कोई झिझक है। इस वर्ष शादी तो नहीं, पर शादी का उत्सव मनाना है, जिसमें लोग खुलकर जश्न मना सकें। मायके और ससुराल वाले मिलकर इसे एक ग्रैंड सेलिब्रेशन बनाने वाले हैं। इसलिए नीलांजना ने एक माह पहले ही मेल पर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को ‘सेव द डेट्स मैसेज’ यानी आनलाइन भेजा जाने वाला आमंत्रण पत्र भेज दिया था।
 
तस्वीरें सदा के लिए
गोवा के एक बड़े रिसार्ट में शादी का जश्न चल रहा था। बीच के किनारे सजा था बड़ा सा स्टेज, उस खूबसूरत विशाल प्रांगण में चार चांद लगा रही थीं रंग-बिरंगी थीम से सजी मेज-कुर्सियां, पर वहां बस चार लोग मौजूद थे। दूल्हा-दुल्हन, पंडित और फोटोग्राफर। वरमाला की बारी आई तो दूर मौजूद इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आफ इंडिया में शिरकत करने आए अभिनेता पंकज त्रिपाटी के लिए यह अजीबोगरीब दृश्य था। उनसे रहा नहीं गया। अपने चार-पांच करीबी मित्रों से कहकर वे उन्हें आशीष देने की बात करने लगे, पर जल्द ही पता चला कि यह सब बस एक रिक्रिएशन था यानी शादी तो गत वर्ष ही हो चुकी थी, लेकिन शादी के कुछ रस्मों को कैमरे में इस तरह कैद किए जाने का अरमान बाकी रह गया था, जिसे इस वर्ष पूरा किया जा रहा था। टेकजैमर फिल्म्स के सीईओ व वेडिंग फोटोग्राफर सार्थक निगम कहते हैं, हमारे पास ऐसे लोगों के फोन आ रहे हैं जो बीते साल शादी को ग्रैंड सेलिब्रेशन नहीं बना सके थे। लोग इतने रोमांचित हैं कि उन् ें यह भी पता नहीं कि यह सेलिब्रेशन कितना बड़ा करना है, पहले दो लोगों से काम चल जाता था अब पांच छह फोटोग्राफर की मांग करते हैं ताकि शूटिंग यादगार रहे।

बस इतनी सी बात है

कैसी शादी कर दी आपने, बस 50-60 लोग, न हमारे दोस्त आ सके न ही करीबी रिश्तेदार? आज भी बच्चे अपने अभिभावकों से यह कहने से नहीं चूकते। भले ही मजाक में ही सही, पर दिल पर लगता ही होगा। दिल्ली के वेडिंग प्लानर पवन कहते हैं, लोग शादी तो नहीं कर सकते, पर सेलिब्रेशन कर रहे हैं उस शादी के नाम पर। कितने ही क्लाइंट हैं, जो बच्चे होने के बाद एक बड़ा फंक्शन कर देते हैं। यह एक साथ दोनों उद्देश्य पूरा कर रहा है। दिल्ली के मनीष भाटिया के बड़े भाई की शादी पिछले साल हुई, पर इस नवंबर में जाकर उनके अरमान पूरे हुए जब मनमुताबिक सारी व्यवस्था हुई, एक हजार से भी ज्यादा मेहमान आए और एक ग्रैंड सेलिब्रेशन संपन्न हुआ। ऐसे कई बड़े शादी समारोहों का खास हिस्सा रहने वालीं आर्टिस्ट डा. रोशनी टाक कहती हैं, जब आपको जिंदगी ने मोहलत दी है तो खुशी से समझौता क्यों करें। खुलकर जश्न मनाएं।

खुशियां बांटने का उत्सव है यह

मनीष भाटिया के मुताबिक, उनके घर में करीबी रिश्तेदारों को ही गिन लें तो वे सौ से ज्यादा होंगे। जब 50-60 का ही प्रतिबंध था तो उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी कि किसे छोड़ें और किसे बुलाएं। आखिरकार रोना आता था कि कितने ही करीबी शादी में नहीं आ पाए, क्योंकि प्रतिबंध मानने की बाध्यता थी। वह कहते हैं, भगवान बड़े दयालु हैं कि हमें इस साल अवसर दिया कि हम इतना बड़ा रिसेप्शन कर पा रहे हैं। भाई की शादी में देखे गए सारे अरमान तो नहीं, पर ज्यादातर पूरे हुए। और खर्च की बात? इस पर वह कहते हैं, यह कोई कहां गिनता है। आज दस हजार हैं तो कल दस लाख होंगे और क्या पता दस रुपये भी कल न हों। डा. रोशनी यहां कहती हैं, यदि ईश्वर ने दिया है तो खुश होना भी आपका अधिकार है। लोग अपने हिसाब से खर्च कर रहे हैं और यह खर्च बर्बादी नहीं है, बल्कि इसमें कई लोगों को रोजगार मिलता है। डा. रोशनी के मुताबिक, कैटरिंग में ही सौ से ज्यादा लोग, जिस वेन्यू या फार्म हाउस में शादी है वहां उस इवेंट में भी 50 से अधिक लोग होते हैं। इस तरह एक शादी से जहां एक तरफ खुशियां अपनों को होती हैं वहीं कितनों का ही घर चलता है। यह भी एक तरह से खुशी ही है, जो आपकी वजह से औरों को मिल रही है। ऐसे देखा जाए तो लोग दोबारा शादी के नाम पर जो सेलिब्रेशन कर रहे हैं, वह खुशियां बांटने का उत्सव भी बन रहा है।

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