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निर्मला सीतारमण ने बताया ‘सप्तर्षि प्लान’ से होगा देश का विकास

नई दिल्ली
 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट भाषण 2023 (Union Budget 2023) में सप्तर्षि शब्द का जिक्र किया है। यूं तो सप्तर्षि का जिक्र हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलता है, लेकिन यहां वित्त मंत्री ने इस शब्द का प्रयोग बजट के मुख्य 7 लक्ष्यों को समझाने के लिए किया है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में देश और समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाने की बात कही। उन्होंने देश को विकास की रफ्तार में बनाए रखने के लिए सप्तर्षि प्लान का जिक्र किया। आइए जानते हैं वित्तमंत्री का सप्तर्षि प्लान क्या है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि उनका प्लान उन सप्तर्षि की तरह हैं जो अमृतकाल में देश के विकास को दिशा देंगे। इंफ्रांस्ट्रक्चर, यूथ पावर, वित्तीय सेक्टर और समावेशी विकास जो सरकार की पहली प्राथमिकता होगी। यह सरकार सबका साथ सबका विकास की विचारधारा के साथ चल रही है, जिसके अंदर किसानों, वंचितों, अनूसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ों को वरीयता दी जा रही है।

क्या है वित्तमंत्री का सप्तर्षि प्लान

मावेशी विकास: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मौजूदा सरकार सबका साथ सबका विकास के एजेंडे पर काम करती है। इस सरकार का लक्ष्य समाज के हर तबके के लोगों का बिना किसी भेदभाव के विकास करना है। इसलिए उन्होंने समावेशी विकास का जिक्र किया है।

वंचितों को वरीयता: वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में देश की जनता को आश्वस्त किया कि वह देश और समाज के वंचितों पर विशेष फोकस रखेंगी। उन्होंने बजट भाषण में कहा कि जब तक देश के वंचितों का विकास नहीं होगा तब तक समावेशी विकास की परिकल्पना को पूरा नहीं किया जा सकेगा।

बुनियादी ढांचे और निवेश: निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण 2023-24 में बुनियादी ढांचे और निवेश पर जोर देने की बात कही। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में रफ्तार बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार पर काम किया जाना जरूरी है। साथ उन्होंने निवेश को बढ़ाने के उपायों पर भी जोर देने की बात कही।

क्षमता विस्तार: वित्तमंत्री ने युवाओं में क्षमता विस्तार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जबतक युवाओं की क्षमताओं का विस्तार नहीं होता है तब तक अर्थव्यवस्था में तेजी नहीं हो सकती है।

हरित विकास: वित्त मंत्री ने अपने सप्तर्षि प्लान में हरित विकास का जिक्र किया। यहां हरित विकास का मतलब कृषि क्षेत्र और किसानों के हालात में सुधार की बात है। वित्तमंत्री ने कहा कि देश की विकास रफ्तार बनाए रखने के लिए किसानों की हालत में सुधार जरूरी है। इसी वजह से उन्होंने कहा कि सरकार मोटे अनाजों को तवज्जो देगी, ताकि छोटे किसानों की भी हालत में सुधार हो सके।

युवा: सप्तर्षि प्लान में युवाओं पर भी फोकस रखने की बात कही गई। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत की सबसे बड़ी ताकत युवा शक्ति ही है। इसी को ध्यान में रखते हुए वित्तमंत्री ने युवाओं पर विशेष ध्यान देने की बात कही है।

वित्तीय क्षेत्र: सप्तर्षि प्लान का अंतित प्वाइंट वित्तीय क्षेत्र है। यानी सरकार देश की वित्तीय स्थिति को लाभ पहुंचाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।

अब आपके जेहन में सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर वित्तमंत्री ने विकास के इन पैमानों को सप्तर्षि नाम क्यों दिया है। यह शब्द हिंदू माइथोलॉजी से लिया गया है। हिंदू माइथोलॉजी में 7 ऋषियों का जिक्र किया गया है। उनके नाम इस प्रकार हैं- वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक। इन ऋषियों के बारे में कहा जाता है कि इन्होंने भारतवर्ष को काफी कुछ दिया है।

आइए इन सप्तर्षि के बारे में बारी-बारी से जानते हैं-:

वशिष्ठ: रामचरित मानस के मुताबिक राजा दशरथ के कुलगुरु ऋषि वशिष्ठ थे। राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न को इन्होंने ही शिक्षित किया था। इन्हीं के कहने पर श्रीराम ने कई राक्षसों का वध किया था।

विश्वामित्र : धर्म ग्रंथों के मुताबिक विश्वावित्र राजा बाद में ऋषि बन गए थे। मान्यता है कि कामधेनु गाय की चाहत में इन्होंने ऋषि वशिष्ठ से युद्ध किया था, लेकिन पराजित हुए थे। इसी हार के बाद उन्होंने घोर तपस्या की और महान ऋषि बने। माना जाता है कि विश्वामित्र जिस जगह पर तपस्या करते उस स्थान पर स्वर्ग जैसा माहौल बन जाता था।

कण्व : वह वैदिक काल के ऋषि माने जाते हैं। मान्यता है कि इन्हीं के आश्रम में राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और उनके बेटे भरत का पालन-पोषण हुआ था। इसी भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत है।

भारद्वाज: इनके बारे में कहा जाता है कि यह रामायण काल से भी पहले ऋषि रहे हैं। हालांकि ऐसा भी कहा जाता है कि श्रीराम वनवास के वक्त भारद्वाज ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुके थे। भारतीय समाज में भारद्वाज ऋषि का उच्च स्थान माना जाता है। इनके बारे में कहा जाता है कि इन्होंने 'यन्त्र-सर्वस्व' नामक बृहद् ग्रन्थ की रचना की थी।

अत्रि : अत्रि ऋषि किसानों के गुरु माने जाते हैं। मान्यता है कि इस देश में कृषि कार्य शुरू करने में अत्रि ऋषि का विशेष योगदान रहा है। मान्यता है कि ऋषि अत्रि पर अश्विनीकुमारों की विशेष कृपा थी।

वामदेव : इस महान ऋषि के बारे में कहा जाता है कि इन्होंने भारतवर्ष को सामगान (गीत-संगीत) दिया है। यानी वामदेव ने इस देश को संस्कृति प्रदान की है।

शौनक : शौनक ऋषि युवाओं के गुरु माने जाते हैं। इन्होंन शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए 10 हजार युवाओं को अपने सानिध्य में शिक्षित किया ताकि भारवर्ष के समाज में शिक्षा की अलख जग सके।

 

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