राजनीती

ममता बनर्जी ने बंगाल में क्यों छीना कांग्रेस से इकलौता विधायक, दिल्ली की बैठकों को भी बताया फिजूल

नई दिल्ली
विपक्षी एकता की कवायद के बीच पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के एकमात्र विधायक का दल बदल चर्चा में है। सागरदिघी उपचुनाव में जीते बैरन विश्वास ने तृणमूल कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि इससे विपक्षी एकता की कोशिशों पर असर नहीं पड़ेगा। साथ ही उन्होंने नेताओं के कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में आने पर भी विपक्षी साथी पर तंज कस दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा था, 'तीन महीने पहले ही ऐतिहासिक जीत में कांग्रेस विधायक चुने जाने के बाद पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने लुभा कर उन्हें अपनी पार्टी में कर लिया…। यह सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र के जनादेश के साथ धोखा है…। गोवा, मेघालय, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में कराए गए इस तरह के दल बदल विपक्षी एकता को मजबूत नहीं करेगी, बल्कि भाजपा के उद्देश्य पूरे करेगी।'

इसपर बनर्जी ने जवाब दिया, 'कांग्रेस नेता ने उन जगहों का जिक्र किया, जहां हमने चुनाव लड़ा। उन्होंने राजस्थान, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के नाम नहीं लिए, जहां हम नहीं लड़े। राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे के लिए हमें बंगाल के बाहर भी अन्य राज्यों में वोट प्रतिशत हासिल करने के लिए मौजूदगी की जरूरत होती है। यह सच है कि कांग्रेस ने सागरदिघी सीट जीती थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में उन्होंने कितनी सीटों पर लड़ा था।'

सुरक्षा मांगने पहुंच गए थे कांग्रेस विधायक
खास बात है कि कुछ हफ्तों पहले ही टीएमसी ने मुर्शिदाबाद रैली में ऐलान किया था कि वे चाहते हैं कि सागरदिघी विधायक क्षेत्र के विकास के लिए सीएम से मिलें। इसके कुछ दिन बाद ही विधायक सुरक्षा की मांग करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंच गए। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विश्वास ने याचिका में बताया था कि उन्हें धमकी  भरे कॉल आ रहे हैं।

ममता का कांग्रेस पर फिर तंज?
विपक्षी एकता की बैठक को लेकर सीएम बनर्जी ने कहा, 'नीतीश जी कोलकाता आए थे। मेरी उनके साथ बातचीत हुई थी, जिसके बाद 12 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक होने वाली है। पटना में बैठक अहम है, क्योंकि यह जयप्रकाश नारायण का गढ़ था। दिल्ली में कई बैठकें हुईं, लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ। नीतीश जी ने मुझे कल कॉल किया था और मैंने उन्हें बताया कि मैं जा रही हूं।'

 

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