राजनीती

सिंधिया ने प्रियंका गांधी का नाम लिए बिना ही कहा, ‘किसी ने मेरे कद पर टिप्पणी की थी, ग्वालियर-मालवा के लोगों ने बता दिया है कि उनका कद क्या है

नई दिल्ली
मध्य प्रदेश में सारे अनुमानों और एग्जिट पोल्स को गलत साबित करते हुए भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की है। अब तक भाजपा 161 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस महज 66 पर ही बढ़त बनाए हुए है। भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले चंबल-ग्वालियर बेल्ट में भी बड़ी जीत हासिल की है। इसके बाद प्रियंका गांधी के उस बयान को याद किया जा रहा है, जिसमें उन्होंने सिंधिया के कद पर टिप्पणी की थी। इस पर अब उन्होंने तीखा जवाब दिया है। सिंधिया ने प्रियंका गांधी का नाम लिए बिना ही कहा, 'किसी ने मेरे कद पर टिप्पणी की थी। ग्वालियर-मालवा के लोगों ने बता दिया है कि उनका कद क्या है।'

पिछले महीने ही प्रचार के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने दतिया में प्रचार करते हुए कहा था कि भाजपा के तो सारे नेता अजीब से हैं। सबसे पहले तो हमारे सिंधिया जी ही हैं। मैंने उनके साथ यूपी में काम किया था। उनका कद भले छोटा है, लेकिन अहंकार बड़ा है। वाह भाई वाह।' इसी को लेकर सिंधिया ने एनडीटीवी से बातचीत में प्रियंका को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कोई मेरे कद पर टिप्पणी कर रहा था। ग्वालियर-चंबल बेल्ट में भाजपा को मिली बड़ी जीत से सिंधिया का कद भी बढ़ेगा, जो कांग्रेस छोड़कर 5 साल पहले भाजपा में आए थे।

दतिया में प्रियंका ने सिंधिया पर बेहद तीखा हमला किया था। उन्हें गद्दार तक बता दिया था। प्रियंका ने कहा था, 'हमारे कार्यकर्ता सिंधिया के पास जाया करते थे और उन्होंने बताया कि कैसी दिक्कतें आती थीं। वे कहते थे कि हम उन्हें महाराज कहते हैं तो सुनवाई होती है। ऐसा नहीं कहते तो बात ही नहीं सुनी जाती।' यही नहीं सिंधिया के परिवार पर ही टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह अपनी फैमिली के ट्रैडिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। गद्दारी बहुत से लोगों ने की है, लेकिन उन्होंने ग्वालियर और चंबल की जनता से गद्दारी की है। उन्होंने सरकार ही गिरा दी थी।

उन्होंने 1857 की जंग में सिंधिया राजघराने की ओर से ब्रिटिश साम्राज्य को समर्थन करने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा था कि वह सिंधिया ही थे, जिनके चलते सरकार गिर गई थी। गौरतलब है कि यूपी चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साथ ही काम किया था। माना जाता है कि पश्चिम यूपी की जिम्मेदारी मिलने से सिंधिया नाराज थे और वह मध्य प्रदेश में अपना बड़ा कद चाहते थे। अंत में दिग्विजय सिंह और सिंधिया से न बनने के चलते उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी थी।

 

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