शिवपाल की नाराजगी अखिलेश को कहीं भारी न पड़ जाए, आजमगढ़ उपचुनाव में सपा के एमवाई समीकरण का इम्तहान

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 लखनऊ
 
समाजवादी पार्टी जिस मुस्लिम- यादव (एमवाई) समीकरण के भरोसे आत्मविश्वास में रहती है, उसे अब आजमगढ़ में कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है। यहां भारतीय जनता पार्टी यादव वोटों को अपनी ओर करने में लगी है तो बहुजन समाज पार्टी मुस्लिमों को रिझाने में।

ऐसे में सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए यहां दोहरी प्रतिष्ठा दांव पर है। उनके लिए चुनौती बड़ी है। अपनी मौजूदा सीट बचाना है। मुसलिम यादव वोट बैंक को सेंधमारी से बचाए रखना है। साथ ही साबित करना है कि धर्मेंद्र यादव को बदायूं से आजमगढ़ लाकर लड़ाने का निर्णय सही था।

 आजमगढ़ सपा का मजबूत गढ़ रहा है। यहां सपा लंबे समय से जीतती रही है। पर इस बार चुनौती अलग तरह की है। हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव में सपा ने सभी 10 सीटे भाजपा लहर में जीत ली थीं। यहां एमवाई समीकरण भी सपा के पक्ष में रहता है। मुलायम सिंह यादव को जनता जिता चुकी है और अखिलेश यादव को भी। अब सैफई परिवार का तीसरा सदस्य सपा की ओर से मैदान में है। यहां उन्हें चुनौती देने के लिए एक बार फिर भाजपा से दिनेश लाल निरहुआ मैदान में हैं। आजमगढ़ में यादव भारी तादाद में हैं। यहां उनके एकमुशत वोट के लिए धर्मेंद्र यादव  दिनेश यादव दोनों जूझ रहे हैं। पिछली बार के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अखिलेश यादव को कड़ी टक्कर दी थी।

 

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