रियायतों का पिटारा: सरकार देगी सस्ती बिजली, उद्योग विकास और ब्याज अनुदान
भोपाल
मध्यप्रदेश में फर्नीचर और खिलौना उत्पादन इकाई लगाने पर राज्य सरकार निवेशकों को राहत का पिटारा देने जा रही है। प्लांट, मशनरी, भवन पर निवेश राशि का चालीस फीसदी तक उद्योग विकास अनुदान के अलावा, एक करोड़ रुपए तक ब्याज अनुदान और एक रुपए प्रति यूनिट बिजली भी उपलब्ध कराई जाएगी।
एमएसएमई विभाग ने उत्पाद आधरित कल्स्टर्स को प्रदेश के समावेशी विकास, लोगों के लिए रोजगार के अवसर निर्मित करने और नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिय इसकी शुरुआत की है। फर्नीचर और टॉयस एवं उससे संबंधित उत्पादों की विनिर्माण इकाई शुरु करने वित्तीय सहायता दी जाएगी।
स्थिर सम्पत्तियों पर अधिकतम चालीस प्रतिशत तक एमएसएमई प्रोत्साहन दिया जाएगा। परियोजना के लिए बैंक और वित्तीय संस्थाओं से लिए गए टर्म लोन पर दो प्रतिशत की दर से पांच वर्ष तक ब्याज अनुदान सौ लाख रुपए प्रतिवर्ष तक दिया जाएगा। सभी नवीन इकाईयों को उच्च दाब विद्युत कनेक्शन दिनांक से पांच साल तक विद्युत शुल्क में छूट दी जाएगी। इसके अलावा वाणिज्यिक उत्पादन की तिथि से पांच वर्ष तक एक रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जाएगी। स्टाम्प डयूटी और पंजीयन शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाएगी। केन्द्र एवं राज्य सरकार के अधिमान्य गुणवत्ता प्रमाणीकरण संस्थानों से अधिकतम चारगुणवत्ता प्रमाणीकरण पर प्रोत्साहन के लिए 25 प्रतिशत लागत प्रतिपूर्ति अधिकतम सीमा दस लाख रुपए तक उपलब्ध करााई जाएगी। गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्राप्त करने पर अधिकतम सहायता ढाई लाख रुपए तक सीमित रहेगी।
मध्यप्रदेश के स्थायी निवासी को स्किल गेप प्रशिक्षण इकाई द्वारा वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने के पहले तीन वर्ष तक प्रशिक्षित किए गए कर्मचारियों के लिए प्रति कर्मचारी अधिकतम दस हजार अधिकतम दो सौ कर्मचारियों के लिए दिया जाएगा। नवीन कर्मचारियों को पांच हजार प्रति कर्मचारी प्रति माह की सहायता पांच वर्ष तक रोजगार सृजन अनुदान के रूप में दी जाएगी। निर्यात सहायता में पचास प्रतिशत तक निर्यात करने पर मूल उद्योग विकास अनुदान के साथ बीस प्रतिशत अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।
प्रोडक्ट डिजाईन , टेक्नालॉजी ट्रांसफर खर्च और शुल्क की प्रतिपूर्ति अधिकतम पांच लाख रुपए और पेटेंट डिइालन पंजीयन के लिए पांच लाख रुपए तक की प्रतिपूर्ति की जाएगी। हरित पहल और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए दस करोड़ के निवेश पर पच्चीस लाख रुपए तक की सहायता और अधिक निवेश पर एक करोड़ तक की सहायता दी जाएगी। औद्योगिक एमएसएमई समूह को दो करोड़ तक मदद दी जाएगी।