छोटे व्यवसायों को फायनेंशियल सपोर्ट का मॉड्यूल डेवलप कर रहा MP

भोपाल
प्रदेश में छोटे उद्यमियों का डेटाबेस विकसित करने की जरूरत है। ऐसे उद्यमियों के डेटा की कमी के चलते वास्तविक उद्यमी और आउटरीच की जानकारी सही नहीं मिल पाती और यह स्थिति फाइनेंसियल इंस्टीट्यूट की अक्षमता के चलते बनी है। इसलिए राज्य में ऐसे उद्यमियों का डेटाबेस उद्योग आधार की तर्ज पर विकसित करना होगा। डेटाबेस को एक्सटेंशन के रूप में भी देखा जा सकता है या समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन मॉड्यूल की ब्रांचिंग भी कहा जा सकता है जिसमें स्टेट लेवल पर छोटे व्यवसायों से होने वाले विकास की टेÑकिंग की जा सकती है।
प्रदेश में सोर्सिंग, प्रारंभिक स्क्रीनिंग और पुनर्भुगतान के आधार पर एक व्यवसाय मॉडल की भी जरूरत बताई गई है। यह सिफारिश राज्य सरकार को अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान (एआईजीजीपीए) ने एमएसएमई लोन को लेकर प्रदेश के विभिन्न जिलों में की गई स्टडी के आधार पर की है जिस पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर की मौजूदगी में होने वाली बैठक में चर्चा होगी।
इस दौरान कोई नया प्लान घोषित किया जा सकता है। सिफारिश में कहा गया है कि प्रदेश में माइक्रो इंटरप्राइज के अंतर्गत छोटे और लघु वित्तीय संस्थानों ने उधार माडल के जरिये प्रदेश के उद्यमियों को उधार दिया है और इसका उपयोग 90 प्रतिशत उद्यमी कर रहे हैं। इसलिए इस नीति को बढ़ावा देने के लिए एक भुगतान-आधारित उधार मॉडल उद्यमियों और वित्तीय संस्थाओं के लिए लागू किया जा सकता है। चूंकि छोटे व्यवसायों को छोटे ऋणों की आवश्यकता होती है, जिसे देने में बड़े बैंक आनाकानी करते हैं। इसलिए यह माडल सफल हो सकता है।
इतना ही नहीं अधिकांश एमएफआई (मार्जिनल फाइनेंसिलय इंस्टीट्यूट)और एसएफबी (स्माल फाइनेंस बैंक) अब इन ऋणों के अलावा व्यक्तिगत उधारकर्तार्ओ को भी लोन देते हैं और उसकी वसूली भी हो जाती है। इसलिए प्रदेश में एक लाख रुपए से पांच लाख रुपए तक के उद्यम के लिए ऐसे ऋण दिए जा सकते हैं। इस काम में नए जमाने की फिनटेक कंपनियां जो फेसलेस और नो कॉन्टैक्ट लोन प्रक्रिया में एक्सपर्टाइजेशन डेवलप कर रही हैं वे आने वाले पांच सालों में गहरा असर दिखाएंगी।
पीएम स्वनिधि का दायरा बढ़े
सिफारिश में लोन आवेदन और एमएसएमई कारोबारी के कारोबार की निगरानी एजेंसी को लेकर भी सर्वे किया गया है और कहा गया है कि छोटे व्यवसायों के लिए समर्पित गुम मध्य योजना(डेडिकेटेड मिसिंग मिडिल स्कीम फॉर स्माल बिजनेस) की भी आवश्यकता है जिसमें मौजूदा और नए उद्यमियों के लिए 1-5 लाख रुपए तक दिए जा सकें। इस डेडिकेटेड स्कीम में पीएम स्वनिधि योजना की लाइन पेश की जा सकती है जिसमें अभी 10 हजार रुपए तक का लोन सरकार देती है। इसे और अधिक कर दिया जाना चाहिए।
एप आधारित डिजिटल एप्लीकेशन माड्यूल बने
इसमें छोटे बिजनेस लोन के लिए डेडिकेटेड सोर्सिंग और फैसिलिटेटिंग एजेंसी को लेकर किए गए सर्वे में डेडिकेटेड सोर्सिंग एजेंसी के गठन की सिफारिश राज्य मे की गई है ताकि एमएसएमई को वित्तीय संस्थाओं से मिलने वाले लोन में मदद मिल सके। ऐसा होने पर वित्तीय संस्थाओं के साथ एक राजस्व आधारित माडल भी बनाया जा सकता है। सिफारिश में कहा गया है कि डेडिकेटेड सोर्सिंग एजेंसी को सोर्सिंग, सुविधा और नियमित निगरानी पर काम करने की जरूरत होगी जो छोटे व्यवसायियों के कारोबार को बढ़ाने में मदद करेगी। सुशासन स्कूल की स्टडी में यह तथ्य सामने आया है कि छोटे व्यवसायों के लिए ऐप-आधारित डिजिटल एप्लिकेशन मॉड्यूल लागू किया जाना चहिए। इसमें आधार के साथ उद्यमी/आवेदक आवश्यक दस्तावेज डिजिटल रूप से अपलोड कर सकते हैं। इससे व्यवस्था में बदलाव आ सकेगा। इसमें नव उद्यमियों ने रुचि भी दिखाई है और ऐसे एप की मांग की है।