चीन को ताइवन पर चाहिए भारत का समर्थन, विदेश मंत्री जयशंकर ने दी थी ड्रैगन को नसीहत

Spread the love

 नई दिल्ली।
 
चीन को उम्मीद है कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध के बाद द्विपक्षीय संबंधों को सही रास्ते पर लाने के अपने प्रयासों को और तेज करेगा। साथ ही ताइवान मध्य में हाल के घटनाक्रमों को लेकर "एक-चीन" नीति का समर्थन करेगा। चीनी राजदूत सन वेइदॉन्ग ने भारत द्वारा "एक-चीन" नीति के किसी भी उल्लेख को टालने के एक दिन बाद पत्रकारों से बात करते हुए यह टिप्पणी की है। आपको बता दें कि भारत ने अमेरिकी सदन के अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी की यात्रा के बाद उत्पन्न तनाव के बाद ताइवान में यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई का विरोध किया है। वहीं, सन ने इस बात को दोहराया कि तनाव के लिए अमेरिका और पेलोसी पूरी तरह से जिम्मेदार थे।

भारत-चीन के बीच एलएसी पर जारी गतिरोध के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की बात कहते हैं, जबकि उनके भारतीय समकक्ष एस जयशंकर का कहना है कि दोनों देशों के बीच के संबंधों को तब तक सामान्य नहीं किया जा सकता है, जब तक की सीमा को शांत नहीं कर लिया जाए। हिंदुस्तान टाइम्स के एक सवाल के जवाब में सन ने कहा कि चीन को उम्मीद है कि मामलों को सही रास्ते पर वापस लाने के उसके प्रयासों को भारत का समर्थन मिलेगा।

 
उन्होंने कहा, "हम चीन-भारत संबंधों को महत्व देंगे और इसे सही रास्ते पर लाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। हमें उम्मीद है कि इस तरह के प्रयास में हमें दूसरी तरफ (भारत) से भी समर्थन मिलेगा। हम मानते हैं कि हम इस तरह के लक्ष्य को प्राप्त करत सकते हैं। यह निश्चित रूप से न केवल हम दोनों देशों को बल्कि इस पूरे क्षेत्र और दुनिया को भी लाभान्वित करेगा।"

भारत और चीन के बीच मई 2020 से गतिरोध जारी है। दोनों पक्षों ने लद्दाख सेक्टर में लगभग 50,000 सैनिकों को तैनात किया है। जून 2020 में गलवान घाटी में एक क्रूर संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। वहीं, कम से कम चार चीनी सैनिकों की भी मौत हुई थी। दोनों पक्षों के बीच 10 दौर राजनयिक बातचीत और 16 दौर की सैन्य वार्ता के बावजूद केवल पैंगोंग झील और गोगरा में सीमावर्ती बलों को हटाया गया है। बाकी जगहों पर गतिरोध आज भी कायम है।
 
सन ने कहा, "चीन दोनों देशों के बीच संवाद को मजबूत करने और हमारी समझ को गहरा करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है, ताकि किसी भी तरह की गलतफहमी से बचा जा सके।" उन्होंने कहा, ''हम इस बात की उम्मीद करते हैं कि भारत से भी हमें ऐसा ही सहयोग मिलेगा।'' उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के लिए खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों पर वैश्विक स्तर पर समन्वय करना भी महत्वपूर्ण है।

 

Related Articles

Back to top button