अमेरिका के टैरिफ शुल्क बढ़ाने के फैसले के बाद चीन ने भारत से नदीकियां बढ़ानी फिर की शुरू

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नई दिल्ली
जब से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीता है, तब से चीन का डर बढ़ता जा रहा है। चीन को सबसे ज्यादा डर कारोबार को लेकर है। माना जा रहा है कि जनवरी में राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद ट्रंप चीन पर लगने वाला टैरिफ शुल्क बढ़ा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो पहले से ही धीमी आर्थिक गति की मार झेल रहे चीन के लिए यह बड़ा धक्का होगा।

ट्रंप के इस कदम से बचने के लिए चीन ने हाल ही में एक और आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था। इसका उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को गति देना था। लेकिन लगता है कि चीन के ये सारे आर्थिक पैकेज किसी काम के नहीं हैं। ट्रंप का दबाव कम करने के लिए चीन भारत की शरण में आ रहा है। इसके लिए वह भारत के साथ संबंध सुधारने पर लगा है।

ढीले पड़ने लगे चीन के तेवर

अमेरिका में आगामी ट्रंप प्रशासन का दबाव कम करने के लिए चीन अब भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है। यह बात अमेरिका-भारत सामरिक एवं साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कही।

ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान चीन से माल पर 60 फीसदी टैरिफ शुल्क और हर दूसरे अमेरिकी आयात पर 20 फीसदी तक के टैरिफ शुल्क का प्रस्ताव रखा था। मुकेश अघी ने कहा, ‘इसलिए हम ट्रंप प्रशासन के आने का प्रारंभिक प्रभाव देख रहे हैं, जिसने चीन पर भारत के साथ व्यवहार को आसान बनाने का दबाव बनाया है। इसलिए सीमा पर गश्त पर सहमति बनी है। सीधी उड़ानों पर सहमति बनी है।’

और नरम होगा ड्रैगन

चीन के तेवर आने वाले समय में और ढीले पड़ते नजर आएंगे। अघी ने कहा कि ट्रंप की जीत का भारत-चीन संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। आने वाले समय में चीन की ओर से कुछ और नरमी देखी जा सकती है। वहीं भारत की ओर से भी चीन के लोगों के लिए अधिक वीजा जारी होंगे।

अमेरिका में चीन का कड़ा विरोध

अघी ने कहा कि उन्होंने कहा कि अमेरिका में नया प्रशासन मैन्युफैक्चरिंग को चीन से दूर ले जाने और अमेरिका में ही रोजगार सृजन की योजना बना रहा है। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका में कांग्रेस की एक समिति ने सिफारिश की है कि चीन के साथ अपने व्यापार संबंधों को अमेरिका कड़ा करे।

साथ ही करीब 25 साल पुराने उस फैसले को वापस लेने पर जोर दे जिसने चीन की तीव्र आर्थिक वृद्धि में मदद की थी और जिसे अब अमेरिका में कई लोग अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने वाला मानते हैं।

इसलिए भारत के करीब आया चीन

अमेरिका-चीन आर्थिक तथा सुरक्षा समीक्षा आयोग ने मंगलवार को कांग्रेस को भेजी अपनी नौ पन्नों की वार्षिक रिपोर्ट में पहली बार चीन के साथ स्थायी सामान्य व्यापार संबंधों को समाप्त करने का आह्वान किया। ट्रंप प्रशासन के तहत चीन के साथ व्यापार युद्ध के तेज होने के आसार हैं।

वहीं चीन यह पहले ही भांप गया था कि अमेरिका में ट्रंप की सरकार बनने जा रही है। ऐसे में उसे लगने लगा था कि ट्रंप व्यापार में चीन का तवज्जो नहीं देंगे। ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद चीन ने भारत के साथ संबंध बेहतर करने शुरू कर दिए। माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच संबंध सुधरने के बाद चीन अपने व्यापार का बड़ा हिस्सा फिर से भारत के साथ बड़े स्तर पर शुरू कर सकता है।

दोनों देशों के बीच व्यापार में आई कमी

भारत और चीन के बीच व्यापार काफी बड़ा रहा है। लेकिन जून 2020 को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद हालात बिगड़ गए थे। इसका व्यापारिक स्तर पर बड़ा प्रभाव पड़ा। दोनों देशों के बीच काफी दूरियां आ गई थीं।

बढ़ गया भारत का व्यापार घाटा

चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में चीन के साथ भारत का माल व्यापार घाटा 13 फीसदी बढ़ गया है। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध के संभावित बढ़ने से यह समस्या और बढ़ सकती है। चूंकि अमेरिका चीनी वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाता है, इसलिए चीन अपने अतिरिक्त उत्पादन को बेचने के लिए भारत सहित वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर सकता है। इससे भारतीय बाजार में चीनी वस्तुओं की बाढ़ आ सकती है, जिससे व्यापार घाटा और बढ़ सकता है।

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