हाईकोर्ट ने पत्नी की इच्छा के विरुद्ध अप्राकृतिक संबंध को क्रूरता माना, धारा 377 के आरोप निरस्त किए

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ग्वालियर
 मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच अप्राकृतिक यौन संबंध से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने पति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत दर्ज अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोप को निरस्त कर दिया, लेकिन दहेज प्रताड़ना और मारपीट से जुड़े आरोपों को बरकरार रखा. कोर्ट ने साफ कहा कि पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता, लेकिन इच्छा के विरुद्ध ऐसा करना और मारपीट करना क्रूरता के दायरे में आता है. इस फैसले से पति के खिलाफ धारा 498ए और 323 के तहत मुकदमा चलता रहेगा.

क्या है पूरा मामला?

मामला ग्वालियर के सिरोल थाना क्षेत्र का है. सिरोल निवासी एक युवती ने अपने पति के खिलाफ 25 फरवरी 2024 को सिरोल थाने में FIR दर्ज कराई थी. शिकायत में युवती ने आरोप लगाया कि उसकी शादी 2 मई 2023 को हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी. शादी के दौरान उसके माता-पिता ने 5 लाख रुपये नकद, घरेलू सामान और एक बुलेट मोटरसाइकिल दहेज के रूप में दी थी, लेकिन शादी के बाद से ही पति शराब पीकर उसके साथ अप्राकृतिक यौन कृत्य करता था. मना करने पर वह मारपीट करता था और दहेज की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित करता था. युवती ने कई बार महिला परामर्श केंद्र और पुलिस में शिकायत की, लेकिन हालात नहीं बदले.

पति ने लगाई याचिका

पति ने इस मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर धारा 377 और दहेज प्रताड़ना से जुड़े मुकदमे को निरस्त करने की मांग की थी. उसने तर्क दिया कि चूंकि वह और शिकायतकर्ता विधिवत विवाहित हैं, इसलिए अप्राकृतिक यौन संबंध का आरोप धारा 377 के तहत अपराध नहीं बनता. साथ ही, उसने दहेज की मांग से भी इनकार किया.

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने सुनवाई में कई पुराने मामलों का हवाला देते हुए कहा कि बालिग पत्नी के साथ अप्राकृतिक संबंध बलात्कार या 377 के तहत अपराध नहीं माने जाएंगे, लेकिन अगर ये सब उसकी मर्जी के खिलाफ होता है और साथ ही मारपीट या दबाव होता है, तो ये क्रूरता की श्रेणी में आता है. अदालत ने कहा कि क्रूरता सिर्फ दहेज मांगने तक सीमित नहीं, बल्कि ऐसा कोई भी व्यवहार जिससे पत्नी को मानसिक या शारीरिक नुकसान हो, उसे क्रूरता माना जाएगा.

 

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