रणथंभौर में टाइगर ने पुजारी पर किया हमला, हुई मौत

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सवाई माधोपुर

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में एक बार फिर बाघ का आतंक देखने को मिला है। सोमवार सुबह रणथंभौर किले में स्थित गणेश मंदिर के पुजारी राधेश्याम शर्मा (60) को बाघ ने हमला कर मौत के घाट उतार दिया। पुजारी बीते 20 वर्षों से मंदिर में सेवा दे रहे थे। सुबह करीब 5 बजे जब वे शौच के लिए बाहर निकले, तभी झाड़ियों में छिपे बाघ ने उन पर झपट्टा मार दिया। हमला इतना तेज था कि कुछ ही मिनटों में उनकी जान चली गई।

इस घटना की खबर फैलते ही इलाके में सनसनी फैल गई। आक्रोशित ग्रामीणों ने सवाई माधोपुर-कुंडेरा मार्ग पर जाम लगा दिया और वन विभाग के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। लोगों ने पुजारी के परिजनों को उचित मुआवजा देने और बाघ को पकड़ने की मांग की। ग्रामीणों का आरोप है कि यह केवल एक हादसा नहीं, बल्कि वन विभाग की लापरवाही का नतीजा है।

दो महीने में तीसरी जान ले चुका है बाघ
इससे पहले 21 अप्रैल को रणथंभौर की बाघिन 'कनकटी' ने त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर दर्शन कर लौट रहे 7 वर्षीय मासूम को निशाना बनाया था। बच्चा अपनी दादी के साथ लौट रहा था, तभी बाघिन ने हमला कर उसे गहराइयों में खींच लिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बाघिन काफी देर तक बच्चे की गर्दन पर पंजा रखकर बैठी रही।

इसके बाद 12 मई को जोन नंबर-3 के जोगी महल इलाके में ट्रैकिंग के दौरान वन विभाग का रेंजर बाघ के हमले का शिकार हो गया। यह हमला 'छोटी छतरी' क्षेत्र में हुआ, जहां बाघ ने उसकी गर्दन पर झपट्टा मारकर उसे मौत के घाट उतार दिया।

2 किलोमीटर के दायरे में तीन हमले
गौर करने वाली बात यह है कि ये तीनों घटनाएं रणथंभौर दुर्ग और आसपास के महज 2 किलोमीटर के दायरे में हुई हैं। आशंका जताई जा रही है कि हमलों के पीछे एक ही बाघ या बाघों का कोई समूह हो सकता है, जो अब आदमखोर जैसा व्यवहार कर रहा है।

क्या रणथंभौर बनता जा रहा है डेथ जोन?
कम समय और सीमित क्षेत्र में लगातार तीन हमलों ने वन विभाग की चिंता बढ़ा दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग को पहले से खतरे की आशंका थी, लेकिन उन्होंने सिर्फ चेतावनी नोटिस लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। पुजारी और रेंजर जैसे नियमित कर्मचारियों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए।

इन घटनाओं के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या रणथंभौर का यह क्षेत्र डेथ जोन बनता जा रहा है? क्या इन बाघों का व्यवहार सामान्य है या वे इंसानों के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं? वन विभाग की ओर से इस मामले में अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है, जिससे लोगों की नाराजगी और बढ़ गई है।

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