भोपाल 90 डिग्री ओवरब्रिज विवाद में ठेकेदार को राहत, जांच की जिम्मेदारी मैनिट को सौंपी गई

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जबलपुर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भोपाल के बहुचर्चित 90 डिग्री ओवरब्रिज मामले में ठेकेदार कंपनी मेसर्स पुनीत चड्ढा को बड़ी राहत दी है। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने ठेकेदार पर कठोर कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाई है। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि ओवरब्रिज की जांच मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) भोपाल के वरिष्ठ प्रोफेसर से कराई जाए और 10 सितंबर तक रिपोर्ट पेश की जाए।

याचिका में ठेकेदार ने दलील दी कि निर्माण पूरी तरह से पीडब्ल्यूडी अधिकारियों द्वारा दी गई डिजाइन के आधार पर हुआ। इसलिए कंपनी को दोष देना अनुचित है, जबकि विभागीय जांच में दोषी अफसरों पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है। कोर्ट ने भी असलियत सामने लाने के लिए स्वतंत्र तकनीकी जांच का आदेश दिया। जांच का खर्च (करीब एक लाख रुपये) फिलहाल ठेकेदार वहन करेगा।
 
क्या है पूरा मामला?
145 करोड़ की लागत से बने ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज को अगस्त 2023 में यातायात के लिए खोला गया।
इसके बाद 90 डिग्री के खतरनाक मोड़ की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए।
मुख्यमंत्री के आदेश पर 8 इंजीनियर निलंबित हुए, जिनमें 2 मुख्य अभियंता भी शामिल।
पुल बनाने वाली कंपनी और डिजाइन कंसल्टेंट को ब्लैकलिस्ट किया गया।
सरकार ने घोषणा की कि पुल को रीडिजाइन कर सुधारा जाएगा और रेलवे भी इसके लिए अतिरिक्त जमीन देगा।

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