संजू के विवादित सीन की असली कहानी: क्या सच में हुआ या सिर्फ फिल्म का ड्रामा?

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मुंबई 
साल 2018 में आई संजय दत्त की बायोपिक फिल्म 'संजू' सुपरहिट रही थी। राजकुमार हिरानी के निर्देशन में बनी इस फिल्म को काफी पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला और IMDb पर इसकी रेटिंग 7.4 है। फिल्म में रणबीर कपूर ने संजय दत्त का किरदार निभाया था और परेश रावल उनके पिता सुनील दत्त के किरदार में नजर आए थे। फिल्म की कहानी और इसके किरदार सत्य घटना पर आधारित थे, लेकिन इसमें एक सीन ऐसा भी था, जो संजय दत्त नहीं बल्कि निर्देशक राजकुमार हिरानी की जिंदगी पर आधारित था।

संजू की जिंदगी का नहीं है किस्सा
फिल्म में एक सीन है जिसमें संजय दत्त अंडरवर्ल्ड वालों से डरे हुए होते हैं और उनके पिता सुनील दत्त उन्हें गाड़ी से एक सुनसान जगह लेकर जाते हैं। दोनों बाप-बेटे इस बंदरगाह जैसी दिखने वाली जगह पर खड़े होते हैं। यहां पर सुनील दत्त अपने बेटे संजय दत्त को फिल्मी अंदाज में समझाते हैं और फिर इस तरह उसका डर निकल जाता है। लेकिन यह सीन असल में संजय दत्त की जिंदगी का है ही नहीं। यह किस्सा राजकुमार हिरानी की जिंदगी से लिया गया था क्योंकि सिचुएशन के हिसाब से फिट बैठता था।

भूत के नाम पर हुई थी बहस
खुद निर्देशक राजकुमार हिरानी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया, "मेरे पापा ने मुझसे कहा कि कोई भूत-वूत नहीं होते हैं, और मैंने कहा- नहीं पापा भूत होते हैं। तब मेरे पापा ने मुझसे कहा कि ठीक है तो मुझे दिखाओ। अब मैं कुछ पल तक खामोश था, क्योंकि मैंने बस कहानियां सुनी थीं, मैंने कभी भूत देखा नहीं था। अब यह रात के 9-10 बजे बात हो रही थी तो फिर कुछ घंटे और बीतने के बाद वो मुझे शहर से बाहर कहीं लेकर गए।" राजकुमार हिरानी ने बताया कि 20-25 मिनट ड्राइव करके दोनों शहर से बाहर गए।

पिता ने निकाला भूतों का डर
संजू के निर्देशक ने बताया कि उनके पिता उन्हें जिस जगह लेकर पहुंचे वहां पर सुनसान था, बिलकुल अंधेरा और उनकी हालत खराब हो रही थी। राजकुमार हिरानी ने बताया कि उन्हें लगा कि आज तो भूत दिखेगा हर हालत में। डायरेक्टर ने बताया कि वह पीछे खड़े थे और उनके पिता वहां पर चिल्लाने लगे जोर-जोर से, कि कहां हो भूत भाई, आ जाओ, एक बार मिल लो। उन्होंने मुझसे कहा कि उतरो गाड़ी से बाहर। वह डरते-डरते उतरे, और उनके पिता ने उनसे भूत-भूत चिल्लाने को कहा। राजकुमार हिरानी ने किसी तरह डर-डरकर चिल्लाया भी, लेकिन जब वो लौटे तो यह डर हमेशा के लिए निकल चुका था उनके मन से।

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