पाकिस्तान से मुंह मोड़ते मुस्लिम देश, भारत के साथ बढ़ती नजदीकी का राज क्या है?

नई दिल्ली
मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती का दो दिवसीय दौरे पर भारत आना और भारत-मिस्र रणनीतिक वार्ता में शामिल होना, एक ऐसे समय में हुआ है जब जियोपॉलिटिकल इक्वेशन तेजी से बदल रहे हैं. यह दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण है और संकेत देता है कि कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान की पकड़ मुस्लिम देशों से ढीली होती जा रही है. अब मुस्लिम देश भी आतंक और युद्ध की विचारधारा से निकलकर आर्थिक, सामाजिक विकास और स्थिरता की ओर देख रहे हैं. भारत अब इन देशों का पसंदीदा पार्टनर है.
पाकिस्तान लंबे समय से खुद को इस्लामिक जगत का लीडर बताता रहा है और यह मानता रहा है कि सभी मुस्लिम देश हर मुद्दे पर उसका साथ देंगे. कश्मीर मुद्दे को इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में उठाने की उसकी कोशिशें इस रणनीति का हिस्सा रही हैं. लेकिन हाल के घटनाक्रम और OIC के भीतर से ही भारत को लेकर नरम होते रुख ने पाकिस्तान को परेशान कर दिया है. जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर या अफगानिस्तान के साथ सीमा पर तनाव के दौरान देखा गया. तुर्की और अजरबैजान को छोड़कर ज्यादातर प्रमुख मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान का खुला समर्थन नहीं किया. यहां तक कि उसके पारंपरिक सहयोगी सऊदी अरब और यूएई ने भी भारत के साथ रिश्तों को तवज्जो दी.
खाड़ी देशों का बदलता रुख
यूएई और सऊदी अरब जैसे खाड़ी देश अब पाकिस्तान की कश्मीर केंद्रित कूटनीति से दूरी बना रहे हैं. ये देश अब अपनी ऊर्जा जरूरतों, निवेश, व्यापार और प्रवासी भारतीयों की विशाल संख्या के कारण भारत को एक महत्वपूर्ण साझेदार मानते हैं. हाल ही में, यूएई और सऊदी अरब ने पाकिस्तान के कुछ शहरों के नागरिकों को वीजा देने पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम उठाए हैं, जो पाकिस्तान के प्रति उनके बदलते नजरिए को दर्शाते हैं. ये देश भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं और भारत के साथ स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप बढ़ा रहे हैं.
वजह सिर्फ आर्थिक मजबूरी या फिर कुछ और
मुस्लिम मुल्क, खासकर खाड़ी देश अब अपनी अर्थव्यवस्थाओं की निर्भरता तेल से हटाकर इन्वेस्टमेंट पर करना चाहते हैं. भारत की मजबूत और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था उनके लिए एक आकर्षक बाजार और इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन है. वे आतंक, अस्थिरता और संघर्ष की राजनीति से दूर हटकर लंबे समय तक वाली आर्थिक साझोदारी चाहते हैं, जो सिर्फ भारत उन्हें दे सकता है. यही वजह है कि मुस्लिम देशों में भारत को लेकर नजरिया काफी हद तक बदल गया है. अब वे पाकिस्तान के मुकाबले भारत को एक ज्यादा स्थिर, आर्थिक रूप से मजबूत और भरोसेमंद साझेदार के रूप में देखते हैं.
तीन प्वाइंट में समझें भारत क्यों बन रहा पसंद
भारत, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और खाड़ी देशों के लिए एक बड़ा व्यापारिक भागीदार है. लाखों भारतीय प्रोफेशनल्स खाड़ी देशों की इकोनॉमी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहरीन, UAE, फिलिस्तीन और सऊदी अरब जैसे देशों से सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलना, इन देशों के साथ भारत के प्रगाढ़ होते संबंधों को दर्शाता है.
मिस्र के साथ भारत के संबंध अशोक के शिलालेखों तक पुराने हैं. महात्मा गांधी और साद जघलौल ने दोनों देशों के रिश्तों को एक नया मुकाम दिया था. इस तरह के गहरे सभ्यतागत संबंध कई मुस्लिम देशों के साथ भारत के हैं, जो केवल धर्म पर आधारित नहीं हैं, बल्कि इतिहास और साझा मूल्यों पर टिके हैं.
तुर्की और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग भारत के लिए चिंता का विषय रहा है, लेकिन दूसरी तरफ, भारत कई अरब देशों के साथ सैन्य अभ्यास और रक्षा सहयोग बढ़ा रहा है. यह जियोपॉलिटकल बैलेंस को भारत के पक्ष में झुकाता है.
अफगानिस्तान ने पलटा सारा गेम
अफगानिस्तान के मामले में भारत ने जिस तरह की भूमिका ली है, उससे मुस्लिम देशों में साख बढ़ी है. भारत वहां अरबों डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया है. स्कूल, सड़कें और यहां तक कि अफगान संसद भवन का निर्माण भी कराया. 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भी भारत ने इंगेजमेंट विदाउट रिकॉग्निशन की नीति अपनाई और काफी मदद की.
भारत की इस नीति ने अफगानिस्तान के लोगों का दिल जीत लिया. पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच तालिबान के साथ भारत का ‘टेक्निकल मिशन’ के माध्यम से सीमित जुड़ाव पाकिस्तान के विरोधियों के साथ संबंध बनाने की चाणक्य नीति जैसा है, जिससे मुस्लिम देशों में भी भारत की कूटनीतिक कुशलता का संदेश जाता है.
फिलिस्तीन कनेक्शन भी अहम
फिलिस्तीन का मुद्दा मुस्लिम देशों के लिए दिल से जुड़ा हुआ है. चाहे ईरान हो, कतर, मिस्र, सऊदी या फिर यूएई सब वहां शांति चाहते हैं. एक स्वतंत्र फिलिस्तीन बनाने की ख्वाहिश रखते हैं. ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया अमेरिका के आगे जी हजूरी करने में लगी है, भारत फिलिस्तीन की आवाज बनकर डटकर खड़ा है. लगातार अमीर देशों को चेता रहा है कि फिलिस्तीन की बात सुने. फिलिस्तीन से किए वादे पूरे करो. भारत ने वहां मदद भी भेजी है. इन सब चीजों ने मुस्लिम देशों को भारत के साथ जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है. मिस्र के विदेश मंत्री का यह दौरा स्वयं भारत के बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है. इसके अलावा, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत तेज होना भारत के साथ रिश्तों की नई कहानी कहता है.