चुनाव का फैसला किसके हाथ में? अमित शाह ने उठाए वोटिंग और घुसपैठ के मुद्दे

पटना
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासत गर्म है। कांग्रेस ने चुनाव के ऐलान से पहले ही एसआईआर के खिलाफ 'वोट चोरी' वाली मुहिम चलाई और चुनाव आयोग के साथ ही बीजेपी को घेरने की पूरी कोशिश की। हिन्दुस्तान के बिहार समागम में पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह से जब 'वोट चोरी' के मुद्दे पर कांग्रेस के आरोपों पर सवाल किया गया तो उन्होंने देश की सबसे पुरानी पार्टी को खूब सुनाया।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, मैंने राहुल जी के वक्तव्य को ठीक से देखा ही नहीं लेकिन वह खुद ही अपना मुद्दा भूल गए हैं। बिहार की जनता ने ही भुला दिया है। 15 दिन से वह बिहार में वोट चोरी पर नहीं बोल रहे हैं। शायद उन्हें कोई सलाह दी गई होगी। लेकिन क्या बिहार की सत्ता का फैसला कोई घुसपैठिया करेगा? लोकतंत्र की मूल बात चुनाव है और उसमें भी मूल मतदाता सूची है। जो देश का मतदाता नहीं है वह कैसे तय करेगा कि कौन प्रदेश का मुख्यमंत्री होगा। क्या मिर्ची लगी है लोगों को?
उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग एसआईआर करके अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची से निकालता है तो उनके पेट में दर्द क्या है? उन्होंने घुसपैठ होने देकर वोट बैंक क्रिएट किया है। हम चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं कि पूरे देश में एसआईआर होना चाहिए और घुसपैठियों को डिलीट करना चाहिए।
गृह मंत्री से जब पूछा गया कि घुसपैठ रोकने के लिए केंद्र के पास क्या सॉलिड योजना है? इसपर शाह ने कहा, जिन्होंने बांग्लादेश, कश्मीर का बॉर्डर देखा होगा। वहां कोई रोड नहीं है। वहां घने जंगल हैं, ऊंची पहाड़ियां हैं. नदी नाले हैं। सब जगह फेंस लगाना मुश्किल नहीं है और ना ही 24 घंटे निगरानी हो पाती है। बारिश के दिनों में तो स्थिति और भी खराब हो जाती है। दिल्ली के लुटियन में बैठकर बात करना आसाना है। घुसपैठिया घुसकर सबसे पहले कहां जाता है? क्या थाने को पता नहीं चलता, पटवारी को पता नहीं चलता? लेकिन बंगाल में कहा जाता है कि उनका लाल जाजम बिछाकर स्वागत करिए। उन्होंने बंगाल की जनता को भी कहा कि अगर बीजेपी की सरकार बनी तो वहां भी घुसपैठ नहीं होने देंगे।