भोपाल में भीख मांगने वालों के खिलाफ चला अभियान, दोबारा पकड़ में आए तो दर्ज होगी FIR

भोपाल
राजधानी को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए जिला प्रशासन पिछले 10 महीनों से प्रयासरत है। साल की शुरुआत में अभियान चलाकर भिक्षुकों को समझाया गया था और कईयों को सुधार गृह तक भेजा गया था। कुछ मामलों में एफआइआर भी दर्ज हुई थी, लेकिन वक्त के साथ अभियान धीमा पड़ गया। नतीजा यह हुआ कि शहर के चौक-चौराहों, धार्मिक स्थलों, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर भिक्षुकों की संख्या फिर से बढ़ गई।
इसी को देखते हुए प्रशासन ने भिक्षावृत्ति रोकने के लिए सात टीमों का गठन किया है। प्रत्येक टीम की जिम्मेदारी एसडीएम को दी गई है। शुक्रवार को संत हिरदाराम नगर क्षेत्र की टीम ने लालघाटी चौराहे पर निरीक्षण किया। टीम ने महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को समझाया कि वे भीख न मांगें और अपने घर लौट जाएँ। चेतावनी दी गई कि यदि दोबारा भीख मांगते पकड़े गए तो कार्रवाई की जाएगी।
छह घंटे चला अभियान
तहसीलदार हर्ष विक्रम सिंह के नेतृत्व में सुबह 10 बजे शुरू हुआ अभियान शाम चार बजे तक चला। नगर निगम सहायक प्रभारी उद्यान अवध नारायण मकोरिया की अगुवाई में टीम लालघाटी चौराहे पर पहुंची। टीम को देखकर कई भिक्षुक भाग निकले, लेकिन कुछ वहीं लौटकर वाहन चालकों से पैसे मांगने लगे। टीम ने जब आधार कार्ड देखे तो पाया कि अधिकांश भिक्षुक राजस्थान और महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। उन्हें समझाया गया कि भोपाल में भिक्षावृत्ति पूरी तरह प्रतिबंधित है, इसलिए वे अपने गृह राज्य लौट जाएँ।
मासूम बच्चों के साथ मिली महिला
निरीक्षण के दौरान लालघाटी फ्लाईओवर के नीचे एक महिला अपने छोटे बच्चों के साथ बैठी मिली। पूछताछ में उसने बताया कि वह महाराष्ट्र की रहने वाली है और इलाज के लिए भोपाल आई है। उसके पति यहां मजदूरी कर रहे हैं। टीम ने उसे भी चेतावनी दी कि सड़क पर बैठकर भिक्षा न मांगे।
नहीं माने तो होगी एफआईआर
हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि यदि भिक्षुक समझाईश के बाद भी नहीं मानते और भीख मांगते पाए जाते हैं तो लेने और देने वाले दोनों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसके बाद भिक्षुकों को सुधार गृह भेजकर स्वजनों से संपर्क कर सौंपा जाएगा।
नोडल अधिकारी और जिला पंचायत सीईओ इला तिवारी ने बताया कि शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए सभी एसडीएम के नेतृत्व में टीमें गठित की गई हैं। अभी भिक्षुकों को समझाया जा रहा है, लेकिन आगे सड़क से हटाकर सुधार गृह भेजने और एफआइआर दर्ज करने की कार्रवाई होगी।