बिहार की धरती पर धर्म का महाकाय स्वरूप, बन रहा है दुनिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर

पटना
बिहार में दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर बन रहा है. चौंकिए मत! यह बिल्कुल सच है. पूर्वी चंपारण जिले के चकिया में विश्व का सबसे बड़ा विराट रामायण मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है. यह भव्य मंदिर 33 फीट ऊंचा होगा. इसमें 210 मीट्रिक टन वजनी शिवलिंग स्थापित किया जाएगा. मंदिर प्रशासन के मुताबिक, शिवलिंग का निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है और जनवरी-फरवरी 2026 तक इसकी स्थापना कर दी जाएगी. आपको बता दें कि विराट रामायण मंदिर का निर्माण महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा कराया जा रहा है. मंदिर परिसर में प्रवेश द्वार, गणेश स्थल, सिंह द्वार, नंदी, शिवलिंग और गर्भगृह की नींव (पाइलिंग) का कार्य पूरा हो चुका है.
तमिलनाडु में तैयार हो रहा है शिवलिंग
इस मंदिर में स्थापित होने वाले शिवलिंग का निर्माण तमिलनाडु के महाबलीपुरम में किया जा रहा है. फिलहाल इसकी कलाकृति और पॉलिश का अंतिम काम चल रहा है. निर्माण पूरा होने के बाद यह विशाल शिवलिंग सड़क मार्ग से महाबलीपुरम से चकिया स्थित विराट रामायण मंदिर तक लाया जाएगा. यह शिवलिंग देश के किसी भी मंदिर में स्थापित सबसे बड़ा शिवलिंग माना जा रहा है.
मुख्य शिखर की ऊंचाई होगी 270 फीट
इस मंदिर का आकार भी बेहद भव्य होगा. इसकी लंबाई 1080 फीट और चौड़ाई 540 फीट होगी. इसमें कुल 18 शिखर और 22 मंदिर शामिल होंगे. मुख्य शिखर की ऊंचाई 270 फीट होगी. जबकि दूसरे शिखरों की ऊंचाई 180, 135, 108 और 90 फीट रखी गई है.
बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद और महावीर मंदिर स्थान न्यास समिति के सदस्य सायण कुणाल ने बताया कि निर्माण कार्य तय समय पर पूरा करने की हर संभव कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि बिहार के गौरव का प्रतीक बनने जा रहा है.
इस खास जगह पर हो रहा है निर्माण
इस मंदिर का निर्माण कार्य 20 जून 2023 को शुरू हुआ था. निर्माण का जिम्मा सनटेक कंपनी को दिया गया है. जबकि वीआरएम (विराट रामायण मंदिर) और टाटा कंसलटेंसी के अधिकारी भी कार्य की निगरानी में तैनात हैं. मंदिर का निर्माण स्थल पूर्वी चंपारण के केसरिया और चकिया के बीच स्थित जानकीनगर में है. यह पटना से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मंदिर परिसर में 4 आश्रम भी बनाए जा रहे हैं.
आचार्य किशोर कुणाल का है ड्रीम प्रोजेक्ट
आपको बता दें कि इस मंदिर को स्वर्गीय आचार्य किशोर कुणाल का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. मंदिर की परिकल्पना और रूपरेखा उनके ही नेतृत्व में तैयार की गई थी.