उच्च शिक्षा को मिलेगा नया आयाम, छत्तीसगढ़ के जशपुर और बस्तर में 4 नए महाविद्यालय शुरू

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रायपुर
 मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ शासन ने जशपुर और बस्तर जिलों में चार नवीन शासकीय महाविद्यालयों की स्थापना को मंजूरी दी है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ये महाविद्यालय फरसाबहार (जशपुर), करडेगा (जशपुर), नगरनार (बस्तर) और किलेपाल (बस्तर) में खोले जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि इससे आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थियों को उनके अपने क्षेत्र में उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध होंगे। अब छात्रों को पढ़ाई के लिए अपने घरों से दूर अन्यत्र नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने शिक्षा को प्रदेश के सर्वांगीण विकास की आधारशिला बताया और कहा कि सरकार युवाओं को अवसर, संसाधन और बेहतर शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इन चार महाविद्यालयों के लिए कुल 132 पदों (प्रति महाविद्यालय 33 पद) के सृजन की स्वीकृति दी गई है। स्वीकृत पदों में प्राचार्य, सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल, क्रीड़ाधिकारी, सहायक ग्रेड-1 और प्रयोगशाला कर्मी शामिल हैं। राज्य शासन ने महाविद्यालयों में कक्षाएं प्रारंभ करने की अनुमति भी दे दी है।

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार इन महाविद्यालयों की स्थापना फरसाबहार (जिला-जशपुर), करडेगा (जिला-जशपुर), नगरनार (जिला-बस्तर) तथा किलेपाल (जिला-बस्तर) में की जाएगी।मुख्यमंत्री की इस पहल से जशपुर एवं बस्तर जैसे जनजाति बहुल एवं भौगोलिक रूप से दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थियों को अब उनके इलाके में ही उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा उपलब्ध कराना उनकी सरकार की प्राथमिकता है।

अच्छी शिक्षा के लिए सरकार प्रतिबद्ध

मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा की पहुंच हर इलाके में हो, इसके लिए राज्य सरकार शिक्षा के ढांचे को सुदृढ़ बना रही है. मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि शिक्षा ही प्रदेश के सर्वांगीण विकास की आधारशिला है और सरकार युवाओं को अवसर, संसाधन व बेहतर शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है.

इन पदों पर होगी भर्ती

गौरतलब है कि इन चारों महाविद्यालयों के लिए कुल 132 पदों (प्रति महाविद्यालय 33 पद) के सृजन की स्वीकृति के साथ ही कक्षाएं प्रारंभ करने की अनुमति भी राज्य शासन ने दे दी है. स्वीकृत पदों में प्राचार्य, सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल, क्रीड़ाधिकारी, सहायक ग्रेड-1 और प्रयोगशाला कर्मी आदि शामिल हैं.

दूरस्थ अंचलों की बेटियों और बेटों को अब कॉलेज की पढ़ाई के लिए अब अपने घरों से दूर अन्यत्र नही जाना पड़ेगा। उच्च शिक्षा की पहुंच हर इलाके में हो, इसके लिए राज्य सरकार शिक्षा के ढांचे को सुदृढ़ बना रही है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि शिक्षा ही प्रदेश के सर्वांगीण विकास की आधारशिला है और सरकार युवाओं को अवसर, संसाधन तथा बेहतर शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

गौरतलब है कि इन चारों महाविद्यालयों के लिए कुल 132 पदों (प्रति महाविद्यालय 33 पद) के सृजन की स्वीकृति के साथ ही कक्षाएं प्रारंभ करने की अनुमति भी राज्य शासन ने दे दी है। स्वीकृत पदों में प्राचार्य, सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल, क्रीड़ाधिकारी, सहायक ग्रेड-1 एवं प्रयोगशाला कर्मी आदि शामिल हैं। मुख्यमंत्री साय की इस पहल से आदिवासी एवं दूरस्थ क्षेत्रों में उच्च शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय युवाओं की शिक्षा, रोजगार एवं कौशल वृद्धि के अवसर बढ़ेंगे। प्रदेश में समान और संतुलित शैक्षणिक विकास को गति मिलेगी।

इस पहल से न केवल आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों में उच्च शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के अवसर भी बढ़ेंगे। प्रदेश में समान और संतुलित शैक्षणिक विकास को इस कदम से नई गति मिलने की उम्मीद है। 

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