सिंहस्थ से पहले कान्ह की सफाई मिशन, 250 करोड़ के बॉन्ड से बदलेगी नदी की तस्वीर?

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इंदौर 

इंदौर की कान्ह नदी को साफ करने के लिए अब तक करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन कान्ह अभी भी प्रदूषित ही है। कान्ह को साफ करने के लिए जनभागीदारी के अलावा स्मार्ट सिटी, नमामि गंगे, अमृत प्रोजेक्ट के तहत 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।

2028 में उज्जैन में सिंहस्थ को देखते हुए इसके पानी को टनल से निकालकर शिप्रा की जगह गंभीर नदी में शिफ्ट करने की योजना पर काम शुरू हो गया है। वहीं इंदौर में कान्ह नदी के रीवर फ्रंट डेवलपमेंट पर भी काम होगा। इसकी डीपीआर को मंजूरी के लिए शासन को भेजा गया है।

19.385 किलोमीटर लंबी कान्ह नदी के लिए रीवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 510.32 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। यह पैसा आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अर्बन चैलेंज फंड के तहत बाॅन्ड से पैसा जुटाया जाएगा।

इसमें 25 फीसदी राशि केन्द्र और इतनी ही स्थानीय निकाय का प्राधिकरण को खर्च करना है। शेष 50 प्रतिशत पैसा बाॅन्ड या अन्य वित्तीय प्रावधानों से जुटाया जाएगा। इस योजना का मकसद शहरों में जल और स्वच्छता से जुड़ी चुनौतियों के लिए फंड उपलब्ध करवाना है।

संजय सेतु तक आते-आते गुजरने पर कान्ह नदी की गंदगी और बढ़ जाती है। कृष्णपुरा छत्री के नजदीक होने के कारण यहां बने घाटों पर लोगों का बैठना मुश्किल हो जाता है।

रीवर फ्रंट कॉरिडोर प्रोजेक्ट में यह सब होगा

अब जो रिवर फ्रंट कॉरिडोर बनाया जाएगा। उसमें बाउंण्ड्रीवॉल, फाउंटेन, पार्किंग के साथ-साथ लैंड स्कैपिंग, हाट बाजार, फुट ओवरब्रिज, टॉयलेट, वॉल पेंटिंग, पाथ-वे सहित अन्य कार्य होंगे, ताकि नदी शुद्धिकरण के साथ-साथ उसके दोनों किनारों पर सौंदर्यीकरण के कार्य भी हो सकें।

कृष्णपुरा छत्री पर होता है कान्ह-सरस्वती संगम

सरस्वती नदी का एक हिस्सा राजीव गांधी स्थित नहर भंडार से होते हुए बद्री बाग तो दूसरा हिस्सा तेजपुर गड़बड़ी से अमितेश नगर होते हुए बद्री बाग में मिलता है। यह लालबाग पैलेस के पीछे छत्रीबाग, हरसिद्धि, कृष्णपुरा छत्री तक पहुंचता है। वहीं, कान्ह नदी तीन इमली से छावनी होते हुए कृष्णपुरा छत्री पर पहुंचती है, जहां दोनों का संगम होता है और फिर कबीटखेड़ी पहुंचती है।

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