आतंकवाद विरोधी अभियान को मददगार नया हथियार—ग्राउंड रोबोटिक म्यूल से सर्च ऑपरेशन और फायरिंग संभव

चंडीगढ़
आतंक ग्रस्त व संवेदनशील सीमा क्षेत्रों में ग्राउंड रोबोटिक म्यूल (खच्चर) के जरिये अब सर्च ऑपरेशन और आसान हो जाएंगे। चार कैमरों से लैस यह ऐसा उपकरण है जो न केवल इलाकों की रेकी करेगा बल्कि इमरजेंसी में दुश्मन व आतंकियों पर फायरिंग भी कर सकता है। खड्ग-2 कोर की एक रेजिमेंट के अधीनस्थ यह उपकरण तैयार किया गया है जो अभी अंडर ट्रायल है लेकिन जल्द ही यह सेना की ताकत बनेगा।
घाटी के विभिन्न आतंकी व सीमा क्षेत्रों मे कई बार विभिन्न सैन्य ऑपरेशनों के दाैरान सेना को ऐसे इलाकों की रेकी करनी पड़ती है जहां जोखिम बहुत ज्यादा होता है। भवनों, खंडहरों व घरों में आतंकियों के छिपे रहने की सूचना पर वहां बिना क्लीयरेंस सैन्य कार्रवाई में जोखिम और बढ़ जाता है। इस स्थिति में इन क्षेत्रों में जवानों की ओर से रेकी करने पर उनकी जान को ज्यादा खतरा रहता है। अब यह काम सेना का ग्राउंड रोबोटिक खच्चर करेगा ताकि जवानों की जान पर खतरे और जोखिम को कम किया जा सके। इसके अलावा युद्ध की स्थिति में जवानों तक मेडिकल सामग्री और गोला-बारूद के बक्से पहुंचाने में भी इस उपकरण का इस्तेमाल किया जा सकेगा। संबंधित रेजिमेंट के एक अधिकारी ने बताया कि बतौर ट्रायल इसे सेना की कुछ यूनिटों को उपलब्ध करवाया गया है और इसके अच्छे परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
उपकरण की खासियत
- इस मानवरहित जमीनी उपकरण से सेना को खुफिया, निगरानी व टोही अभियानों में मदद मिलेगी।
- यह रोबोटिक खच्चर सीढ़ी भी चढ़ सकेगा जबकि ऊंचाई व ढलान पर भी चढ़ने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
- यह उपकरण चार यूएचडी और एचडी फ्रंट कैमरों से लैस है। वीडियो और ऑडियो सिस्टम भी इंस्टाॅल है।
- इसमें वाई-फाई, एलटीई, मैनेट नेटवर्क व रेडियो कनेक्टिविटी की सुविधा भी रहेगी।
- इसका वजन 52 किलोग्राम है जबकि इसका ऑपरेशनल समय तीन घंटे है।
- इसकी स्पीड 10 किलोमीटर प्रति घंटा होगी और यह -20 डिग्री सेल्सियस व +45 डिग्री सेल्सियस में काम कर सकेगा।
- इसकी पेलोड क्षमता 10 किलोग्राम है। इसमें चार सेंसर लगाए गए हैं।
- रोबोटिक खच्चर 25 सेंटीमीटर का एक पग रखकर आगे-पीछे चल सकेगा। इसमें 1 किलो का डी-मोट कंट्रोलर भी इंस्टॉल होगा।
- 50 मीटर वाई-फाई सुविधा के चलते इसे मोबाइल से भी कनेक्ट कर ऑपरेट किया जा सकता है।



