भारत–कनाडा संबंधों में बढ़ा उत्साह: पीएम मोदी से पहले कनाडा ने किया ऐसा काम कि लोग गदगद

नई दिल्ली
भारत और कनाडा के रिश्ते फिर से नई दिशा में बढ़ रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में G20 लीडर्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के पीएम मार्क कार्नी की मुलाकात ने दोनों देशों के बीच जम चुके रिश्तों को लगभग खत्म कर दिया. इसी बैठक के बाद दोनों देशों ने पुराने और रुके हुए व्यापार समझौते CEPA पर दोबारा बातचीत शुरू करने का ऐलान किया, जिसे रिश्तो में बड़ा बदलाव माना जा रहा है. लेकिन इस मुलाकात से पहले कनाडा ने भारतीय मूल के परिवारों को बड़ा तोहफा दिया है. कनाडा की सरकार ने नागरिकता नियमों में बड़े बदलाव का रास्ता साफ कर दिया है. ‘लॉस्ट कनेडियन्स’ कानून को अब रॉयल असेंट मिल गया है. यह बिल C-3 दरअसल कनाडा की सिटिजनशिप एक्ट 2025 में अहम बदलाव करता है और उन हजारो परिवारों को राहत देगा जो कई सालो से अपने बच्चों के लिए नागरिकता को लेकर परेशान थे.
यह बिल इसी हफ्ते सीनेट से पास हुआ और रॉयल असेंट मिलने के बाद अब इसे लागू करने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. कनाडा की इमिग्रेशन मिनिस्टर लीना डियाब ने कहा क यह कानून पुराने नियमो के कारण बाहर रह गए लोगों को न्याय देगा. उन्होंने बताया क नया कानून उन परिवारों की मुश्किलें खत्म करेगा जिनके बच्चे या जिन्हें खुद विदेश में पैदा होने की वजह से नागरिकता नहीं मिल सकी थी.
क्या है यह बिल?
इस बिल का मकसद उस पुराने नियम को खत्म करना है जिसे ‘सेकंड जेनरेशन कट-ऑफ’ कहा जाता था. 2009 में कनाडा ने कानून बदलकर यह तय कर दिया था कि जो कनाडाई नागरिक खुद विदेश में पैदा हुआ है, वह अपने बच्चे को नागरिकता सिर्फ तभी दे सकता है जब बच्चा कनाडा में पैदा हो. इससे बड़ी संख्या में ऐसे लोग बन गए जिन्हें ‘लॉस्ट कनेडियन्स’ कहा जाने लगा. यानी ऐसे लोग जो खुद को कनाडा का नागरिक मानते थे लेकिन कानून उनकी राह में अटक जाता था.
भारतीयों के लिए क्या है राहत?
कई भारतीय मूल परिवार ऐसे थे जिनके बच्चे विदेश में पैदा होने या गोद लिए जाने के कारण सिटिजनशिप नहीं पा सके. नया कानून लागू होते ही ऐसे लोग सीधे तौर पर नागरिकता पा सकेंगे, बशर्ते उनका केस पुराने कानून से प्रभावित हुआ हो. साथ ही नया नियम कहता है क कोई भी कनाडाई नागरिक, जो खुद विदेश में पैदा या गोद लिया गया हो, वह अपने बच्चे को नागरिकता दे सकेगा.
भारत-कनाडा में होगी बातचीत
भारत और कनाडा ने 2010 में CEPA यानी कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट की बातचीत शुरू की थी. 2022 में इस पर काफी तेजी भी आई थी. खासकर दवाइयो, क्रिटिकल मिनरल्स, टूरिज्म, ग्रीन एनर्जी और माइनिंग जैसे क्षेत्रो में दोनों देशों ने मिलकर काम बढ़ाया था. लेकिन 2023 में कनाडा ने बातचीत रोक दी थी, जिससे रिश्तो में कड़वाहट और तनाव साफ दिखने लगा.
भारत के विदेश मंत्रायल ने रविवार रात जारी बयान में साफ कहा है कि दोनों देश अब एक हाई-अम्बिशन व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. लक्ष्य है कि 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचाया जाए. इससे न सिर्फ कारोबार बढ़ेगा बल्कि नौकरी, निवेश और तकनीक साझा करने जैसे कई नए दरवाजे खुल सकते हैं. इसके साथ ही दोनों देशों ने सिविल न्यूक्लियर सहियोग को और मजबूत करने पर भी बात की है. खासकर लम्बे समय के लिए यूरेनियम सप्लाई एग्रीमेंट पर फिर से चर्चा शुरू करने का इरादा दिखा है. यह क्षेत्र दोनों देशों के लिए रणनीतिक तौर पर बेहद अहम माना जाता है.



