रिश्वतखोरी का खेल बेनकाब: CMHO दफ्तर का कर्मचारी 60 हजार लेते गिरफ्तार, पैथोलॉजी वाले को धमका रहा था

जबलपुर
अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) कार्यालय के एक लिपिक को 60 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। पकड़ा गया आरोपित सीएमएचओ कार्यालय की विधि शाखा का प्रभारी और रिकार्ड कीपर है। वह मूलत: ग्वालियर के लश्कर का रहने वाला है। आरोपित को एक निजी पैथोलाजी संचालक के विरुद्ध शिकायत प्राप्त हुई थी। इस मामले की जांच खत्म करने के लिए आरोपित लगातार रिश्वत का दबाव बना रहा था। तब परेशान होकर पैथोलाजी संचालक मनोज श्रीवास्तव ने ईओडब्ल्यू पुलिस अधीक्षक को शिकायत की। जांच और दोनों के फोन ट्रेप पर लेने के बाद गुरुवार को कार्रवाई की गई। जैसे ही पैथोलाजी संचालक ने लिपिक को रिश्वत के रुपये दिए, उसे पकड़ लिया गया।
आपराधिक मामला बोलकर धमकाया
सिहोरा के ज्वालामुखी वार्ड निवासी मनोज श्रीवास्तव का वहां पर पैथोलाजी कलेक्शन सेंटर है। उनसे कुछ समय पूर्व लिपिक आकाश गुप्ता ने संपर्क किया।
उसे बताया कि उनकी पैथोलाजी की स्वास्थ्य विभाग काे शिकायत प्राप्त हुई है। मामले में बातचीत करते हुए लिपिक ने धमकाया कि उसके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण बनाया जा रहा है।
मनोज ने शिकायत को झूठी बताया। इस पर लिपिक ने कहा कि वह कार्यवाही से बचा सकता है, लेकिन इसके एवज में उसे 80 हजार रुपये रिश्वत देना होगा।
इतनी रिश्वत देने से मनोज ने मना कर दिया। उसके बाद आरोपित लिपिक उस पर लगातार दबाव बनाने लगे। फिर बाद में लिपिक 60 हजार रुपये लेकर शिकायत बंद करने तैयार हो गया।
कार्यालय से होटल ले गया, फिर वहां लिए रुपये
लिपिक आकाश ने पैथोलाजी संचालक को फोन कर गुरुवार को रिश्वत के रुपये लेकर आने बोला।
यह पता चलते ही ईओडब्ल्यू का दल उसे रंगे हाथ पकड़ने के लिए विक्टोरिया अस्पताल पहुंचा, लेकिन लिपिक ने चालाकी दिखाते हुए पैथोलाजी संचालक से कार्यालय में रुपये लेने से मना कर दिया।
लिपिक अपने मोटरसाइकिल पर पैथोलाजी संचालक को कार्यालय से दूर तीन पत्ती चौक के पास एक होटल में लेकर गया।
जहां, तक ईओडब्ल्यू भी पीछे-पीछे पहुंच गई। जहां, लिपिक होटल में बैठकर रिश्वत के नोट गिन रहा था। तभी उसे दबोच लिया गया।
एक सप्ताह पहले धरा जाता, लेकिन संदेह हो गया था
आरोपित लिपिक शातिर है। उसे पकड़ने के लिए एक सप्ताह पूर्व ईओडब्ल्यू ने जाल बिछाया था। तब आरोपित लिपिक ने पैथोलाजी संचालक को रुपये लेकर हाईकोर्ट चौक के पास मिलने बुलाया था। तब वह रिश्वत की पहली किस्त के रुप में 20 हजार रुपये लेकर पहुंचा था। उसे देखते ही लिपिक ने एक बैग खोला और उसमें रुपये रखने के लिए संचालक से बोला। लेकिन संचालक उसे हाथ में रुपये पकड़ाने का प्रयास करने लगा। इस पर लिपिक को संदेह हुआ और वह रुपये लिए बिना ही तुरंत वहां से चला गया था।
झूठी शिकायत और अवैध वसूली का खेल पुराना
जिला स्वास्थ्य विभाग में पैथोलाजी एवं निजी अस्पतालों की झूठी शिकायत और फिर उनसे अवैध वसूली का खेल लंबे समय से चल रहा है। इस बात के संकेत ईओडब्ल्यू को शुरुआती जांच में मिले है। रिश्वत लेते धरा गया लिपिक आकाश पैथोलाजी संचालकाें को इंटरनेट मीडिया काल पर संपर्क करता था। उनकी संस्था के विरुद्ध शिकायत मिलने का बोलकर दबाव बनाता था। फिर निराकरण करने का कहकर रुपये ऐंठता था। ईओडब्ल्यू आरोपित लिपिक के आय एवं संपत्ति की जानकारी भी खंगाल रही है।



