सद्गुरू ने भारत की मिट्टी की ताकत दुनिया को दिखा दी है – मुख्यमंत्री चौहान
भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सद्गुरू योगी वासुदेव जग्गी ने भारत की मिट्टी की ताकत दुनिया को दिखा दी है। उन्होंने यूरोप, मध्य एशिया, उत्तर पूर्व सहित विभिन्न देशों से गुजरते हुए दुनिया को मिट्टी बचाने का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि सारी दुनिया एक परिवार है। सद्गुरू ने भौतिक और अध्यात्म का अद्भुत समन्वय कर दिखाया है। विश्व के कल्याण के लिए सद्गुरू मिट्टी बचाने के अभियान में निकले पड़े हैं। हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है, उसमें से एक मिट्टी भी है।
मुख्यमंत्री चौहान आज यहाँ मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में सद्गुरू योगी वासुदेव जग्गी की उपस्थिति में आयोजित मिट्टी बचाओ जन-जागरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। सद्गुरू वासुदेव अपनी बाइक यात्रा में प्रदेश के सागर, विदिशा एवं रायसेन होते हुए भोपाल पहुँचे। मुख्यमंत्री चौहान ने पीपल का पौधा, रानी कमलापति की मूर्ति तथा शाल-श्रीफल भेंटकर सद्गुरू का स्वागत किया।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि धरती की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। सद्गुरू के मिट्टी बचाओ अभियान में जन-सहयोग से मध्यप्रदेश कदम से कदम मिलाकर चलेगा। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं प्रति-दिन पौधा लगाता हूँ, जिसमें सामाजिक संस्थाएँ भी सहयोग कर रही हैं। सद्गुरू के बताये मार्ग पर चलकर नर्मदा सेवा यात्रा निकाली गई थी। नर्मदा नदी के आस-पास पौधे लगाने का कार्य हमनें किया है। एक बड़ा पेड़ लाखों जीव-जंतुओं को आश्रय देता है। इस धरती पर सभी जीवों का अधिकार है। प्राकृतिक संतुलन बनाये रखकर परिस्थितिकी तंत्र मजबूत करना हमारा लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जलाभिषेक अभियान में म.प्र. पाँच हजार अमृत सरोवर बना रहा है। पेड़ लगने से मिट्टी के कटाव को रोका जा सकेगा। जलाभिषेक अभियान भू-जल को बढ़ायेगा। ऊर्जा साक्षरता अभियान में हम सोलर ऊर्जा को बढ़ावा दे रहे हैं। जैविक खेती और प्राकृतिक खेती पर ध्यान दे रहे हैं। प्रदेश में साढ़े 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती कर रहे हैं। हमने पर्यावरण समिट करना तय किया है। सद्गुरू सारी दुनिया को राह दिखाने में अद्भुत कार्य कर रहे हैं। उन्होंने सद्गुरू के बताये मार्ग पर चलने और मिट्टी बचाने का संकल्प दिलाया।
मुख्यमंत्री चौहान ने धरती एवं मिट्टी बचाने और पौध-रोपण से जन-जागरूकता के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मिट्टी बचाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य सभी देशों को यह संदेश देना है कि कृषि भूमि में आवश्यक मात्रा में जैविक तत्व बनाये रखा जाये। हरियाली अमावस्या से एक माह का वृक्षारोपण अभियान चलायेंगे। म.प्र. को हरा-भरा बनाकर चैन लेंगे।
सद्गुरू वासुदेव जग्गी ने कहा कि 100 दिन की यात्रा का यह 79वाँ दिन है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग को ध्यान में रखकर पर्यावरण-संरक्षण जरूरी है। रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरक शक्ति धीरे-धीरे कम होती जा रही है। जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की रक्षा करने के लिए मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाये रखने के प्रयास किए जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र में जैव-विविधता अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मिट्टी की उर्वरा क्षमता कम होने से धरती पर अन्न का उत्पादन कम होगा, जिससे भोजन की समस्या बढ़ जायेगी। इसलिए मिट्टी में पर्याप्त जैविक तत्व मौजूद हों, इसके लिए हम सबको आगे आना होगा। सभी जीवों के लिए मिट्टी का बहुत महत्व है। मिट्टी-संरक्षण के लिए पूरा प्रयास करने का संकल्प लें। उन्होंने मध्यप्रदेश में किए जा रहे मिट्टी बचाने एवं पर्यावरण-संरक्षण के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने मुख्यमंत्री चौहान को पॉलिसी डॉक्यूमेंट पुस्तिका भेंट की। मुख्यमंत्री चौहान ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पॉलिसी डाक्यूमेंट का पूरी गंभीरता से अध्ययन कर लागू किया जाएगा।
सद्गुरू वसुदेव जग्गी द्वारा दिये गये संदेश के प्रमुख बिन्दु
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। अभी वैज्ञानिक तरीके से मिट्टी संरक्षण का कार्य करना जरूरी है। प्रदेश में वन क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य हो रहा है। कृषि क्षेत्र में कार्य करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री चौहान मेरी तरह ही फुल स्पीड में कार्य करते हैं।
खुश रहने के लिये मन का प्रसन्न होना जरूरी। आसपास के वातावरण को खुशनुमा बनाने के लिये सभी की सहभागिता जरूरी। सब-कुछ बेहतर खुद के अनुभव से ही होता है।
धरती पर कुछ बुरी ताकतें ग्रह (पृथ्वी) की शांति को नष्ट करना चाहती हैं। इसे बचाने के लिये मिट्टी को बचाना जरूरी है और इसमें सभी की सहभागिता आवश्यक है।
एक दिन में रासायनिक उर्वरकों और दवाइयों का उपयोग बंद नहीं किया जा सकता।
मशीनों ने खेतों से पशुओं को बाहर कर दिया है। यदि इन्हें वापस खेतों में लेकर नहीं आये, तो अगले 45 वर्षों में घातक परिणाम होंगे।
खेतों से पेड़ों के हटने से मिट्टी का कटाव बहुत बढ़ा है। वृक्षों को वापस फार्म-लेंड में लाना जरूरी है।
न्यूनतम 3 प्रतिशत जैविक खेती का होना अत्यावश्यक है। भारत में मात्र 0.68 प्रतिशत और यूरोप के कुछ देशों में इसका अधिकतम प्रतिशत 1.48 है।
मिट्टी के संरक्षण के अभाव में प्रति वर्ष 27 हजार प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं।
मिट्टी के बचाव के लिये प्रतिबद्धता पूर्वक कार्य करने की जरूरत है। मिट्टी को अन्य इशू से पृथक कर देखना जरूरी है।
कृषि और मृदा संरक्षण के लिये 193 देशों से 193 डाक्यूमेंट तैयार किये गये हैं।
अगले वर्ल्ड इकानॉमिक फोरम में मृदा संरक्षण मुख्य एजेंडा रहेगा।
मृदा संरक्षण के लिये राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से ऊपर उठकर दीर्घकालीन योजनाएँ तैयार करें।
किसानों को भी डॉक्टर और इंजीनियर की तरह सीखना और सिखाना चाहिये।
हम सभी मिट्टी से ही आये हैं और सभी को अंत में मिट्टी में ही जाना है। हममें जाति, नस्ल, समुदाय, समाज, धर्म और अन्य आधार पर विभेद हो सकते हैं, लेकिन हम सभी में मिट्टी एक कॉमन फेक्टर है। हम सभी मिट्टी के लिये ही हैं।
स्विटजरलैंड में मिट्टी संरक्षण करते हुए कुछ स्थानों को हेरिटेज के रूप में विकसित किया गया है।
सद्गुरु ने कहा कि हमें पूरे विश्व को वर्ल्ड हेरिटेज बनाना है।
पर्यावरण संरक्षण पर फिल्म का प्रदर्शन और प्रदर्शनी लगी
कार्यक्रम में सांस्कृतिक गान एवं नृत्य की प्रस्तुतियाँ दी गई। सेव स्वायल थीम पर वीडियो फिल्म प्रदर्शित की गई। जनता को पर्यावरण और मिट्टी बचाने का संकल्प दिलाया गया। बेटी शिवांगी पाठक ने सद्गुरू से सवाल पूछे, जिसका उन्होंने तथ्यपरक उत्तर दिया। ईशा फाउण्डेशन के बैण्ड दल ने आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में सद्गुरू का मोटर साइकिल से आगमन हुआ। सद्गुरू ने यूरोप से अपनी बाइक यात्रा शुरू की। कई देशों की यात्रा कर सद्गुरू मध्यप्रदेश आए हैं। नृत्यांगना श्रीमती राधे जग्गी एवं प्रोजेक्ट संस्कृति के कलाकारों ने नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी। सद्गुरू की यात्रा पर केन्द्रित वीडियो फिल्म दिखाई गई। कार्यक्रम में पर्यावरण-संरक्षण से संबंधित मध्यप्रदेश पर केन्द्रित वीडियो फिल्म का प्रदर्शन और समारोह स्थल पर प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।