74 वर्षों से उपेक्षित राजापुर के बाशिंदों ने चुनाव बहिष्कार का लिया निर्णय

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छतरपुर/ गौरिहार
जनसंपर्क विभाग उत्तरप्रदेश के सेवानिवृत्त उपनिदेशक शिवप्रसाद भारती के नेतृत्व में राजापुर के वाशिंदों की एक अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक में शामिल समस्त ग्रामवासियों ने बीते 74 वर्षों से राजापुर की उपेक्षा पर नाराजगी व्यक्त की और आगामी पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का सर्व सम्मति से एक बार पुन: निर्णय लिया है। गौरतलब है कि लम्बे अर्से से उपेक्षित यहाँ के ग्रामीणों ने बीते पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था जिसकी जानकारी मिलते ही जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुँचकर ग्रामीणों को आश्वासन दिया था और विश्वास में लेकर उन्हें मतदान के लिए राजी कर लिया था।

उपेक्षित व वादा खिलाफी से पनपा आक्रोश
हिंदी फिल्म के मशहूर गीत की पंक्तियों मतलब निकल गया तो पहचानते नही को चरितार्थ करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों ने वादा खिलाफी करते हुए मतदान के बाद लौटकर राजापुर की ओर देखना भी जरूरी नही समझा। जिसके फलस्वरूप यहां के वाशिंदे सरकारी योजनाओं से बराबर अछूते बने रहे और उनका आक्रोश भी दिनोंदिन पनपता रहा। मध्य प्रदेश के बहुप्रतीक्षित आगामी पंचायत चुनाव की तिथि तय होने के बाद से बढ़ती हुई गहमा गहमी और प्रत्याशियों द्वारा प्रचार अभियान तेज किए जाने के बाद राजापुरवासियों ने शुक्रवार 10 जून को वरिष्ठ समाजसेवी व पर्यावरण प्रेमी शिवप्रसाद भारती के नेतृत्व में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित कर आगामी पंचायत चुनाव के बहिष्कार के निर्णय को दोहराया और कहा कि इस बार हम अपने निर्णय पर अटल हैं।

ठकुर्रा व सीलप दो ग्राम पंचायतों के बीच फँसे वाशिंदे     
बैठक में सर्व प्रथम ग्राम वासियों ने अपने सबसे बड़े मुद्दे दो पंचायतों के बीच फँसे होने पर विस्तार से समीक्षा की। जिसमें पाया कि पिछले 74 सालों से राजापुर गांव की आधी-आधी आबादी गौरिहार जनपद की दो ग्राम पंचायतों क्रमश: सीलप व ठकुर्रा में बटी हुई है। समीक्षा में यह भी पाया गया कि यदि इतना ही होता ? तब भी कुछ गनीमत थी। राजापुर गांव के मामले में खाज में कोढ़ का होने  वाली कहावत बिल्कुल सही साबित हो रही है क्योंकि वास्तविकता यह है कि राजापुर गाँव को देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ही गायब कर दिया गया है। राजापुर के आधे मतदाता जो सीलप ग्राम पंचायत से जुड़े है उन्हें सीलप का और आधे जो ठकुर्रा से जुड़े हैं उनको ठकुर्रा ग्राम पंचायत का मतदाता के साथ ही उनको वहीं का निवासी भी दशार्या गया है। अर्थात चुनाव प्रक्रिया में राजापुर नाम का कोई गांव ही नही है जो कि किसी विडम्बना से कम नही है। प्रशासनिक दृष्टि से यह भारी चूक राजापुर वासियों के लिए आजादी के 74 वर्षों के लम्बे अर्से के बाद भी अभिशाप बनी हुई है।

सक्षम अधिकारी नहीं सुनते फरियाद
वरिष्ठ समाजसेवी शिवप्रसाद भारती ने बताया कि ठकुर्रा व सीलप दोनो ग्राम पंचायतों से जुड़े होने की वजह से यहाँ के मतदाताओं को राजापुर का निवासी नही दशार्या गया है। जिसके फलस्वरूप इस गांव की विकास योजनाएं और विकास की धनराशि भी उन्ही ग्राम पंचायतों में खर्च कर ली जाती हैं। श्री भारती ने अपनी आशंका व्यक्त करते हुए बताया कि संभवत: यही कारण है कि राजापुर को पिछले 74 वर्षो से उपेक्षित किया जाता रहा है। इसी प्रकार राजापुर की अनेक विकास योजनाएं और विकास की भारी भरकम धनराशि भी ग्राम पंचायतों वाले गांव में खर्च कर ली जाती रही है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारों की अनदेखी की चलते लम्बे अर्से से राजापुर के वाशिंदों की लगातार उपेक्षा की जा रही है। ऐसी ही अन्य अनेक मांगों के साथ राजापुर वासियों ने राजापुर को सीलप व ठकुर्रा ग्राम पंचायतों से अलग कर स्वतंत्र ग्राम बनाने की मांग गत 6 फरवरी 2022 को सक्षम अधिकारियों से की थी किंतु अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई और ना ही अभी तक कोई विकास कार्य कराए गए हैं। जबकि 10 मार्च 2022 को विभिन्न विकास कार्यों को कराने संबंधी मांगपत्र सभी सक्षम अधिकारियों को भेजे गए हैं किंतु उन पर भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई और ना ही अभी कोई सूचना ही दी गई है। आजादी के 74 वर्षों के बाद भी लगातार उपेक्षा का दंश झेल रहे राजापुर के आक्रोशित ग्रामीणों द्वारा समाजसेवी शिवप्रसाद भारती की अगुवाई में इन्ही प्रमुख मांगो को लेकर 10 जून को एक बैठक आयोजित की गई जिसमें चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार करने का एक बार पुन: सर्वसम्मति से निर्णय दोहराया गया।

मांगों की जानकारी कर ग्रामीणों को समझेंगे
आपके द्वारा इस मामले की जानकारी लगी है। राजापुर गाँव जाएंगे और ग्रामीणों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं से अवगत होकर समाधान करने का यथा सम्भव प्रयास किया जाएगा। ग्रामीणों को मतदान करने संबंधी समझाईश दी जाएगी।
शैवाल सिंह, तहसीलदार, गौरिहार

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