GGI फॉर्मूला पर सहमत हुए भारत-रूस, शी जिनपिंग की चाल से अमेरिका परेशान

तियानजिन
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शंघाई सहयोग संगठन की मीटिंग को संबोधित करते हुए ग्लोबल गवर्नेंस इनिशिएटिव (GGI) का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि दुनिया में बहुपक्षीय व्यवस्था होनी चाहिए और किसी एक देश को ही सर्वशक्तिमान मानना गलत है। शी जिनपिंग ने एससीओ नेताओं को संबोधित करते हुए कहा यह बात कही, जिस पर रूस ने तत्काल सहमति जताई है। इसके अलावा भारत भी इस पर सहमत है क्योंकि लंबे समय से पीएम नरेंद्र मोदी भी यह कहते रहे हैं कि वैश्विक संबंध समानता के आधार पर तय होने चाहिए। शी जिनपिंग का यह फॉर्मूला सीधे तौर पर अमेरिका के लिए खुला चैलेंज है, जो इन दिनों तमाम देशों पर टैरिफ लगा रहा है।
अमेरिका ने सबसे बड़ा टैरिफ तो भारत पर ही लगाया है। ऐसे में शी जिनपिंग का बयान अहम है। शी ने कहा, 'मैं आप लोगों के समक्ष Global Governance Initiative का प्रस्ताव रखना चाहता हूं। मैं सभी देशों के साथ काम करने के लिए तत्पर हूं। यह संबंध समानता के आधार पर होनी चाहिए और मानव सभ्यता के साझा भविष्य के निर्माण के लिए सहयोग की भावना पर आधारित हो।' उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के लिए यह जरूरी है। शी जिनपिंग ने कहा कि यह विजन वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक व्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।
शी जिनपिंग ने कहा, 'सबसे पहले हमें समानता के आधार पर बात करनी होगी। हमें यह मानना होगा कि क्षेत्रफल, क्षमता, संपदा से परे सभी देशों को एक समान माना जाए। सभी को ग्लोबल गवर्नेंस में निर्णय लेने का मौका मिले तो वहीं लाभार्थी के तौर पर भी सब बराबर हों। हमें वैश्विक संबंधों में अधिक लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रोत्साहित करना होगा। इसके अलावा विकासशील देशों को भी शामिल करना होगा।' उन्होंने कहा कि हम सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों से बंधे हुए हैं, लेकिन इनका सही ढंग से और यूएन चार्टर के अनुसार पालन होना चाहिए।
भारत पर अमेरिका के मोटे टैरिफ के बीच शी का प्रस्ताव
शी जिनपिंग ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नियमों को सभी पर एक समान तरीके से लागू करना चाहिए। इसमें कोई दोहरा मानदंड नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसे कुछ देश अपने ही ढंग से नियमों को चलाते हैं और उन्हें दूसरे देशों पर थोपने की कोशिश करते हैं। उन्होंने तीसरी और सबसे अहम बात करते हुए कहा कि हम सभी लोगों को बहुपक्षीय व्यवस्था की बात करनी चाहिए। हमें साथ मिलकर वैश्विक व्यवस्था की बात करनी होगी। शी जिनपिंग की यह थ्योरी भारत समेत कई देशों को सहमत करने वाली है, लेकिन अमेरिका को इससे निश्चित तौर पर चिंता होगी, जो चाहता है कि उसके टैरिफ के आगे सभी देश मनमाने समझौते करने को बाध्य हो जाएं।
शी जिनपिंग के प्रस्ताप पर पुतिन बोले- हम तो राजी हैं
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से तो शी जिनपिंग के इस प्रस्ताव पर जवाब भी आ गया है। उन्होंने कहा कि हम शी जिनपिंग की इस बात से सहमत हैं कि एक समानता आधारित व्यवस्था होनी चाहिए। यह बात ऐसे समय में महत्वपूर्ण है, जब कुछ देश अपनी ही चीजें थोपने में जुटे हैं। चीन के इस प्रस्ताव का रूस समर्थन करता है। हम खुलकर साथ हैं। इस तरह भारत, चीन और रूस ने खुलकर अमेरिका का नाम तक नहीं लिया, लेकिन पूरी बात उसे लेकर ही कही गई।