हरियाणा में सरकारी कॉलेजों की हालत चिंताजनक, PG एडमिशन और शिक्षक पदों में भारी कमी

हिसार
हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में इस साल दाखिले में भारी गिरावट आई है। यह स्थिति न सिर्फ शिक्षा विभाग बल्कि पूरे राज्य के लिए चिंता का विषय बन गई है। पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) की 61% और अंडर ग्रेजुएट (UG) की 49% सीटें खाली रह गईं। यह चौंकाने वाला आंकड़ा दिखाता है कि जहां एक तरफ सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ छात्र सरकारी कॉलेजों से दूरी बना रहे हैं। यह एक गंभीर समस्या है जिसके मूल कारणों पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है।
सरकार ने शुरू किए नए कोर्स इस सत्र में सरकार ने कॉलेजों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए। सरकारी कॉलेजों की आवश्यकता और मांग को देखते हुए नए कोर्स और विषय शुरू किए गए।
करीब 101 नए कोर्स और 33 नए विषयों की शुरुआत की गई है। इसके लिए उच्चतर शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) की ओर से सभी कॉलेज प्राचार्यों को पत्र भी जारी किया गया था।
निर्देशों में यह भी साफ किया गया है कि यदि किसी विषय या कोर्स में छात्र संख्या 20 से कम रहती है, तो संबद्ध विश्वविद्यालय की स्वीकृति लेकर उस स्ट्रीम को बंद किया जा सकता है।
दाखिले घटने का कारण
गुणवत्ता की कमी : छात्रों और अभिभावकों का सरकारी कॉलेजों के प्रति विश्वास कम हुआ है। उन्हें लगता है कि यहां की पढ़ाई का स्तर, निजी संस्थानों की तुलना में कम है।
खाली पदों की समस्या : सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हैं, 7986 स्वीकृत पदों में से 2758 पद खाली हैं। शिक्षकों की कमी सीधे तौर पर पढ़ाई की गुणवत्ता पर असर डालती है। जब पढ़ाने वाले ही नहीं होंगे, तो छात्र कहां से आएंगे?
कमजोर प्रचार-प्रसार : सरकार ने नए कोर्स शुरू किए, लेकिन उनका सही तरीके से प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। छात्रों और उनके अभिभावकों को इन नए अवसरों के बारे में शायद पता ही नहीं चला।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा : आज के समय में छात्र उन कोर्स और संस्थानों को चुनना पसंद करते हैं जो उन्हें बेहतर करियर के अवसर प्रदान करें। निजी विश्वविद्यालय और कोचिंग संस्थान अक्सर अपनी प्लेसमेंट दर और सुविधाओं को बेहतर तरीके से पेश करते हैं, जिससे वे छात्रों को आकर्षित करने में सफल होते हैं।
सरकार के प्रयास और चुनौतियां
सरकार ने दाखिले बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन वे नाकाफी साबित हुए हैं। सरकारी कॉलेजों में 101 नए कोर्स और 33 नए विषय शुरू किए गए, ताकि छात्र अधिक विकल्प चुन सकें। उच्चतर शिक्षा विभाग ने सभी कॉलेज प्राचार्यों को दाखिलों के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए।
इन प्रयासों के बावजूद, परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। इसका एक बड़ा कारण यह है कि सरकार ने सिर्फ कागज़ी निर्देश जारी किए, जबकि जमीनी स्तर पर इनकी कमी दिखाई दी। जब तक कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती नहीं होती और सुविधाओं में सुधार नहीं होता, तब तक सिर्फ नए कोर्स शुरू करने से समस्या का समाधान नहीं होगा।
खाली पदों का असर
शिक्षकों के खाली पद सिर्फ एक संख्या नहीं हैं, बल्कि यह शिक्षा की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करते हैं। सरकारी कॉलेजों में 2758 पद खाली हैं, जिससे मौजूदा शिक्षकों पर काम का बोझ बढ़ रहा है। इससे वे छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं दे पाते, जिससे पढ़ाई प्रभावित होती है। एडेड कॉलेजों में भी 800 से अधिक पद खाली हैं। इन कॉलेजों में भर्ती पर लगे प्रतिबंध को अब हटा दिया गया है, लेकिन जब तक इन पदों पर योग्य शिक्षकों की भर्ती नहीं होती, तब तक हालात नहीं सुधरेंगे।
सरकार और शिक्षा विभाग को कठोर कदम उठाने होंगे
तुरंत भर्ती : शिक्षकों के खाली पदों को तुरंत भरा जाना चाहिए। एचपीएससी को भेजी गई भर्तियों पर तेज़ी से काम किया जाना चाहिए, ताकि छात्रों को योग्य शिक्षक मिल सकें।
गुणवत्ता सुधार : कॉलेजों में आधुनिक सुविधाएं, जैसे अच्छी लाइब्रेरी, लैब और तकनीकी उपकरण उपलब्ध कराए जाने चाहिए। शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए शिक्षकों को भी नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
सटीक प्रचार रणनीति : केवल पत्र लिखने से काम नहीं चलेगा। सरकार को सोशल मीडिया, स्थानीय अखबारों और रेडियो के माध्यम से नए कोर्स और सरकारी कॉलेजों की सुविधाओं का सक्रियता से प्रचार करना चाहिए।
प्लेसमेंट सेल का गठन : छात्रों को आकर्षित करने के लिए हर कॉलेज में एक सक्रिय प्लेसमेंट सेल होना चाहिए जो उन्हें रोज़गार के अवसर प्रदान करने में मदद करें।
प्रवेश पोर्टल के प्रचार प्रसार के निर्देश शैक्षणिक सत्र 2025-26 के दौरान कॉलेजों में पहले से चल रहे किसी भी पाठ्यक्रम, विषय को बंद नहीं किया जाएगा। बाकायदा सरकारी कॉलेजों में अधिक से अधिक संख्या में दाखिले हों, इसे लेकर महानिदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग ने सभी जिला उपायुक्तों, सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, रजिस्ट्रार, सभी जिलों के डीएचईओ सहित सभी सरकारी कॉलेजों के प्रिंसिपल को पत्र भी लिखा था।
पत्र के जरिए डीजी ने ग्रेजुएशन प्रथम वर्ष में दाखिले के लिए प्रवेश पोर्टल खुलने के बाद व्यापक प्रचार-प्रसार की बात कही थी। सरकार अधिकतम नामांकन सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक है इसलिए इसे लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
कॉलेजों में शिक्षकों के हजारों पद खाली प्रदेश के 79 एडेड कॉलेजों में शिक्षकों के करीब 2500 पद स्वीकृत हैं। इनमें से करीब 1700 पर शिक्षक काम कर रहे हैं। शेष 800 पद लंबे समय से खाली पड़े है। पता चला है कि इन खाली पदों पर भर्ती बंद की हुई थी। इन्हें मर्ज करने की प्रक्रिया चल रही थी। मगर सरकार ने इन्हें मर्ज नहीं किया और अब पदों पर लगा बैन भी हट गया है। उम्मीद है कि अब इन पदों पर मैनेजमेंट, जिनकी गर्वनिंग बॉडी है, वे भर्ती कर सकते हैं।
सरकारी कॉलेजों में 2758 पद खाली सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के 7986 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 3264 पर नियमित शिक्षक काम कर रहे है। वहीं, 1964 पदों पर एक्सटेंशन लेक्चरर लगे हुए हैं। करीब 2758 पद खाली पड़े हैं। सरकार ने कॉलेजों में शिक्षकों के 2424 पदों को भरने का प्रस्ताव कई माह पहले एचपीएससी को भेजा था। जिस पर एचपीएससी काम कर रही है।