राजनीतिक बाज़ी पलटी: प्रमुख दो पार्टियों का NDA में आना, MVA की रणनीति पर पड़ा असर

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मुंबई 
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से ऐन पहले सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति ने विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) को बड़ा झटका दिया है। एक तरफ जहां विपक्षी गठबंधन की एकता खतरे में है, और साथी दलों के बीच स्थानीय चुनावों को लेकर आम राय नहीं बन पा रही है, वहीं उनके समर्थकों को लामबंद रखने का जोखिम भी बढ़ा हुआ है। इसी बीच, सत्तारूढ़ गठबंधन ने खेला कर दिया है। दरअसल, पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा में 43 सीटों पर उपविजेता रहे यानी नंबर दो पर रहे विपक्षी उम्मीदवारों को महायुति ने अब अपने साथ कर लिया है। इन 43 उप विजेताओं में सबसे ज्यादा भाजपा में शामिल हुए हैं। इनके अलावा तीन निर्दलीय उप विजेता भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। 

पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में कुल 288 सीटों में से 235 पर महायुति (NDA) ने जीत हासिल की थी, जबकि MVA सिर्फ 50 सीटें ही जीत पाया था। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, तीन निर्दलीयों समेत कुल 46 उपविजेताओं में से सबसे ज्यादा 26 भाजपा में शामिल हुए हैं, जबकि 13 अजित पवार की NCP में और 7 एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हुए हैं। इस दल बदल से सबसे बड़ा झटका उद्धव ठाकरे की शिवसेना को लगा है, जिसके 19 उम्मीदवारों ने पाला बदला है। दूसरे नंबर पर अजित पवार की एनसीपी है, जिसके 13 और कांग्रेस के 10 उम्मीदवारों समेत एक शेतकारी कामगार पक्ष (शेकपा) के उप विजेता हैं।

महायुति ने 235 सीटें जीतीं थी
बता दें कि 2024 के विधानसभा चुनावों में महायुति ने 235 सीटें जीतीं थी। इनमें BJP को 132 सीटें, जबकि शिंदे सेना और NCP (अजीत पवार) को क्रमशः 57 और 41 सीटें मिलीं थीं। MVA सिर्फ 50 सीटें जीत पाई थी। इनमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) को 20, कांग्रेस को 16, और शरद पवार की NCP को 10 सीटें मिलीं थीं।

आधार को मजबूत बनाने की कोशिश
इस नए खेल से सपष्ट है कि सतारूढ़ गठबंधन के दल अपने आधार को मजबूत बनाने की लगातार कोशिशों में जुटे हैं। अब 46 उप विजेताओं के शामिल होने से महायुति का आधार वोट बढ़ने की संभावना है। हालांकि, यह भी सत्य है कि उन्हें असेंबली चुनावों में मिले सारे वोट उन्हें ट्रांसफर नहीं हो सकते क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर पार्टी कैडर को वोटर हैं लेकिन चेहरे के शैमिल होने से हर विधानसभा क्षेत्र में एक बड़ा हिस्सा उनके साथ जा सकता है। इसके अलावा चुनावों में महायुति के पक्ष में नैरेटिव सेट हो सकता है, जो MVA के लिए बड़ा झटका है।

 

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