स्वच्छ भारत कोष से सुधरेंगे शौचालय, सरकारी स्कूलों में बिजली, साइंस लैब नहीं

भोपाल
प्रदेश के सरकारी स्कूलों के हाल बेहाल है। प्रदेश में कुल 98 हजार 963 सरकारी स्कूल है जिनमें से 36 हजार 498 में बिजली और 95 हजार 102 में साइंस लैब नहीं है। 3127 में बालकों के शौचालय और 2022 स्कूलों में बालिकाओं के लिए शौचालय नहीं है। काफी संख्या में शौचालय खराब पड़े है। अब केन्द्र सरकार के स्वच्छ भारत कोष के 83 करोड़ 90 लाख रुपए से नवीन शौचालयों का निर्माण और खराब पड़े शौचालयोें की मरम्मत की जाएगी।
प्रदेश के 22 हजार 361 स्कूलों के कक्षों में माइनर और 19 हजार 465 कक्षों में मेजर मरम्मत की जरुरत है। प्रदेश के 3553 स्कूलों में हेंडवाश यूनिट ही नहीं है। 93 हजार 166 स्कूलों में बालकों के लिए और 94 हजार 238 में बालिकाओं के लिए सीएसडब्ल्यूएन फ्रेंडली शौचालय नहीं है। प्रदेश के 32 हजार 541 स्कूलों में तो खेल मैदान हीं नहीं है तो बच्चे खेलें कहां। 14 हजार 130 स्कूलों में रैंप नहीं है जिसके चलते वहां दिव्यांग बच्चों को पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना होता है। प्रदेश के 87 हजार 868 स्कूलों में किचन गार्डन नहीं है। राज्य शिक्षा केन्द्र की पिछले साल तक की अपडेट जानकारी में यह आंकड़ा सामने आया है।
आरएसके ने मांगा बजट
राज्य शिक्षा केन्द्र के संचालक धनराजू एस ने स्वच्छ भारत कोष के अंतर्गत प्रदेश के सरकारी स्कूलों के शौचालयों के हालत सुधारने के लिए 83 करोड़ 90 लाख रुपए का बजट मांगते हुए प्रस्ताव भेजा है। इसमें 336 करोड़ 64 लाख रुपए की लागत से बालकों के लिए 1 हजार 318 और 27 करोड़ दस लाख रुपए की लागत से बालिकाओं के नवीन शौचालय बनाए जाएंगे। जो शौचालय खराब पड़े है उनमें 10 करोड़ 49 लाख रुपए की लागत से 3 हजार 498 बालकों के शौचालय और 9 करोड़ 66 लाख रुपए की लागत से बालकाओं के 2 हजार 762 शौचालयों की मरम्मत कर उन्हें चालू किया जाएगा।