ग्रेटर नोएडा में हाइड्रोजन बसों का परिचालन जल्द, धुएं की जगह केवल भाप, फ्यूल पंप लगेगा

ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा की यमुना सिटी अब देश के उन चुनिंदा शहरों में शामिल होने जा रही है, जहां सड़क पर प्रदूषण मुक्त हाइड्रोजन बसें दौड़ेंगी. लेह-लद्दाख के बाद अब यमुना सिटी देश का दूसरा शहर बनेगा, जो हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली बसों का संचालन करेगा. यह परियोजना एनटीपीसी (NTPC) के सहयोग से शुरू की जा रही है, जिसका उद्देश्य शहरी परिवहन में ग्रीन एनर्जी मोबिलिटी को बढ़ावा देना और वायु प्रदूषण को कम करना है.
एनटीपीसी ने हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट के तहत चार बसें तैयार की हैं, जिन्हें तीन साल के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में चलाया जाएगा. इन बसों की सबसे खास बात यह है कि ये एक बार फ्यूल भरने पर 600 किलोमीटर तक चल सकती हैं. इन बसों में हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगाए गए हैं, जो बिजली बनाते हैं और बस को इनर्जी देते हैं. उत्सर्जन के रूप में इनमें से सिर्फ पानी की भाप निकलती है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता.
यमुना प्राधिकरण ने इन बसों को मौजूदा रूट्स पर चलाने का फैसला किया है, लेकिन इसमें अब जेवर एयरपोर्ट को भी जोड़ा जाएगा. यमुना विकास प्राधिकरण के एसीईओ नागेंद्र सिंह ने बताया कि ये चारों बसें हमारे पुराने रूट के अनुसार ही चलेंगी, लेकिन अब इनमें एयरपोर्ट को कनेक्ट किया जाएगा. बसें हमारे सेक्टरों से होती हुई पहले से बने हुए बस स्टैंड्स, सूरजपुर पुलिस मुख्यालय और जिलाधिकारी कार्यालय तक जाएंगी.
यमुना प्राधिकरण इन बसों को यूपी रोडवेज (UPRTC) की बसों के साथ मिलाकर संचालित करेगा, ताकि यात्रियों को बेहतर और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन सुविधा मिल सके. प्राधिकरण की योजना है कि इन बसों को जेवर एयरपोर्ट से यमुना सिटी तक कनेक्टिविटी के लिए इस्तेमाल किया जाए.
एनटीपीसी द्वारा तैयार इन बसों से कार्बन उत्सर्जन शून्य होगा. हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक से बसों में दहन नहीं होता, बल्कि रासायनिक प्रतिक्रिया से एनर्जी जेनरेट होती है, जिससे धुआं या प्रदूषण नहीं फैलता. बसों में लगाए गए सिलेंडर में हाइड्रोजन गैस स्टोर रहती है, जो फ्यूल सेल के माध्यम से बिजली में बदल जाती है.
अधिकारियों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम है, बल्कि यह शहरी परिवहन के भविष्य को भी बदल सकती है. यह अभी एक पायलट प्रोजेक्ट है, अगर सफल रहा तो आने वाले वर्षों में इन बसों की संख्या कई गुना बढ़ाई जाएगी.
एनटीपीसी ने इस परियोजना के लिए अपने मुख्यालय में हाइड्रोजन प्रोडक्शन यूनिट और फ्यूल पंप स्टेशन तैयार किया है. यहां पर हाइड्रोजन गैस का उत्पादन एक विशेष प्रक्रिया से किया जा रहा है. कंपनी ने वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले पानी का पुनः उपयोग कर हाइड्रोजन गैस तैयार करने की अनोखी तकनीक अपनाई है. इससे न केवल प्रदूषण घटेगा, बल्कि अपशिष्ट जल का भी उपयोगी दोहन होगा.
एनटीपीसी इन बसों का मेंटेनेंस, हाइड्रोजन रीफ्यूलिंग और टेक्निकल सपोर्ट खुद संभालेगा, जबकि बसों का संचालन यमुना प्राधिकरण के अधीन होगा. एनटीपीसी ने कहा है कि बसों की हाइड्रोजन फ्यूलिंग उनके हेडक्वार्टर स्थित पंप से की जाएगी.
यमुना प्राधिकरण का कहना है कि आने वाले एक महीने के भीतर इन बसों को सड़कों पर उतारने की तैयारी पूरी कर ली जाएगी. यदि प्रोजेक्ट सफल रहता है तो आने वाले वर्षों में इन बसों की संख्या बढ़ाई जाएगी और शहर के अन्य हिस्सों को भी जोड़ा जाएगा. यमुना प्राधिकरण के एसीईओ नागेंद्र सिंह ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि यमुना सिटी को पूरी तरह ग्रीन ट्रांसपोर्ट मॉडल बनाया जाए. एनटीपीसी की इस पहल से प्रदूषण पर नियंत्रण के साथ-साथ यात्रियों को आधुनिक और पर्यावरण हितैषी परिवहन सुविधा भी मिलेगी. लेह-लद्दाख में सफल ट्रायल के बाद यह देश का दूसरा शहर होगा, जहां इस तकनीक का उपयोग होगा.



